
'रजाकरों से कोई समझौता नहीं...', ढाका यूनिवर्सिटी में पाकिस्तान के खिलाफ उबले छात्र, कहा- नहीं बदलेगा सच
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ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों ने 1971 में पाकिस्तानी सेना और रजाकरों के अत्याचारों को याद करते हुए पाकिस्तान को संदेश दिया है कि पीढ़ियां बदल सकती हैं, लेकिन सच नहीं बदलता. इन छात्रों ने साफ कहा है कि रजाकरों के साथ कोई समझौता नहीं होगा. हाल के दिनों में यूनुस सरकार ने गलत मंशा से पाकिस्तान के साथ दोस्ती बढ़ाने की कोशिश की है.
बांग्लादेश के साथ मिलकर भारत के खिलाफ साजिश रचने की चाल चल रहे पाकिस्तान को वहां के युवाओं और छात्रों ने आईना दिखाया है. बांग्लादेश की राजधानी ढाका के छात्रों ने विजय दिवस से पहले बड़ा प्रदर्शन किया है और कहा है कि रजाकरों के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता है.
ढाका यूनिवर्सिटी के छात्रों ने पाकिस्तान को सीधी चुनौती दी. छात्रों ने विजय दिवस पर यूनिवर्सिटी गेट पर हाथ से बना बड़ा बैनर लगाया. यहां उन्होंने 1971 की जंग में पराजित पाकिस्तान का झंडा भेजकर साफ संदेश लिखा- 'नो कॉम्प्रमाइज विद रजाकर'.
छात्रों ने 1971 में पाकिस्तान द्वारा बांग्लादेश में किए गए नरसंहार का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि एक अलग राष्ट्र के रूप में आने के लिए बांग्लादेश के लोगों ने भारी कीमत चुकाई. इन छात्रों का कहना था- पीढ़ियां बदल सकती हैं, लेकिन सच नहीं बदलता.
ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों ने कहा कि 1971 में 30 लाख शहीदों और 2 लाख महिलाओं की अस्मिता पर हमले हुए. इतनी भारी कीमत पर मिली आजादी से किसी तरह का समझौता नहीं होगा.
बांग्लादेश अपना विजय दिवस हर साल 16 दिसंबर को मनाता है. इसी दिन 1971 में पाकिस्तानी सेना ने ढाका में भारतीय सेना और मुक्ति वाहिनी के सामने आत्मसमर्पण किया था. इसके साथ ही 1971 का बांग्लादेश मुक्ति संग्राम समाप्त हुआ और बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश बना.
इस मौके पर बांग्लादेश में लंबा कार्यक्रम चलता है. बांग्लादेश में इस कार्यक्रम की तैयारी शुरू हो गई है.

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