'ये 24 का चक्रव्यूह है', 6 सीटें जीतने वाली राजभर की पार्टी को BJP क्यों दे रही है इतनी तवज्जो?
AajTak
यूपी विधानसभा चुनाव में अखिलेश के साथ और बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले ओम प्रकाश राजभर को वाई श्रेणी की सुरक्षा दी गई है. उन्हें ये सुरक्षा तब मिली है, जब उनकी अखिलेश से दूरी और बीजेपी से नजदीकियां बढ़ती जा रहीं हैं. ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या राजभर एक बार फिर से बीजेपी के साथ आएंगे?
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ एक साथ लड़ने वाले सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर और सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच दूरियां बढ़ती जा रही हैं. ओपी राजभर पहले अखिलेश पर सवाल खड़ा कर योगी के डिनर पार्टी में शामिल हुए, उसके बाद राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की जगह एनडीए खेमे के साथ खड़े नजर आए. वहीं, योगी सरकार ने राजभर को वाई श्रेणी की सुरक्षा दी है. ऐसे में राजभर की बीजेपी से नजदीकियां बढ़ रही हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या दोनों फिर से साथ आएंगे?
अखिलेश से राजभर की बढ़ी दूरियां
रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव के बाद से ओम प्रकाश राजभर के निशाने पर अखिलेश यादव है. अखिलेश को एसी कमरे से बाहर निकलकर जमीन पर उतरने की राजभर ने नसीहत दी तो सपा प्रमुख को यह बात नागवार गुजरी. ऐसे में अखिलेश ने राजभर से दूरी बनाते हुए साफ कह दिया था कि अब वो आजाद हैं और जिसके साथ जाना हैं जाएं, लेकिन सपा को नसीहत न दें. इससे साफ जाहिर है कि अखिलेश और राजभर के रिश्तों में दरार पैदा हो गई है और उनके गठबंधन पर ग्रहण लग गया है, जिसका देर सबेर टूटना तय है.
बीजेपी के साथ ऐसे बढ़ रही नजदीकी
उत्तर प्रदेश की सत्ता में दूसरी बार योगी सरकार के आने के बाद से ओपी राजभर के तेवर ढीले पढ़ गए हैं. अखिलेश यादव से बढ़ती दूरियों के बीच राजभर की बीजेपी के साथ नजदीकियां भी बढ़ती दिख रही हैं, जिसका पहला संकेत उन्होंने सीएम योगी के डिनर पार्टी में शामिल होकर दिया था. द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में सीएम योगी ने मुख्यमंत्री आवास पर एनडीए दलों के लिए डिनर पार्टी रखी थी, जिसमें राजभर शामिल हुए थे. इसके बाद से ही राजभर ने बीजेपी को लेकर नरम रुख अपनाए रखा तो अखिलेश को लेकर निशाना साधना और तेज कर दिया था.
राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए को समर्थन