
मोनाजिर हसन, देवेंद्र यादव... पीके का साथ छोड़कर गए दोनों नेताओं की जमीनी पकड़ कितनी है? समझें
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बिहार में देवेंद्र प्रसाद यादव बड़े समाजवादी नेता माने जाते हैं और मिथिलांचल इलाके में अच्छी खासी पकड़ है. देवेंद्र 1989 से 1998 तक और 1999 से 2009 तक झंझारपुर से सांसद रहे हैं. वहीं, मोनाजिर हसन 2009 में बेगूसराय से सांसद का चुनाव जीते. वे चार बार मुंगेर से विधायक रहे. हसन ने कहा कि वो जनसुराज में बने रहेंगे, लेकिन कोर कमेटी से इस्तीफा दे रहे हैं.
बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं और दो महीने पहले ही वजूद में आने वाली जनसुराज पार्टी को दो बड़े झटके लगे हैं. मोनाजिर हसन और देवेंद्र प्रसाद यादव ने जनसुराज छोड़ने का ऐलान कर दिया है. दोनों ने कोर कमेटी से इस्तीफा दे दिया है और अब तक कोई वजह भी नहीं बताई है. दोनों ही नेता कुछ महीने पहले जनसुराज से जुड़े थे और उन्हें 'M-Y' फैक्टर के तौर पर देखा रहा था. बिहार की राजनीति में दोनों नेताओं को खांटी माना जाता है. देवेंद्र और मोनाजिर लंबे समय तक जेडीयू और आरजेडी का हिस्सा रहे और सांसद भी चुने गए. जानिए, दोनों नेताओं की जमीनी पकड़ कितनी है?
जनसुराज पार्टी के संस्थापक पूर्व चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर हैं. उन्होंने महात्मा गांधी की जयंती (2 अक्टूबर) पर अपने राजनीतिक दल का ऐलान किया था. प्रशांत I-PAC के भी संस्थापक हैं. उन्होंने कुछ साल पहले चुनावी रणनीतिकार के काम से खुद को दूर कर लिया था. वे कुछ समय के लिए नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू का हिस्सा भी रहे हैं.
बाद में प्रशांत किशोर ने अपनी राहें अलग कीं और बिहार की राजनीति में सक्रिय हो गए. प्रशांत की पार्टी हाल ही में बिहार विधानसभा के उपचुनाव में पहली बार मैदान में उतरी. हालांकि, हार का सामना करना पड़ा.
मोनाजिर हसन
मोनाजिर हसन बिहार सरकार में मंत्री रहे हैं. एक समय उन्हें नीतीश कुमार का भरोसेमंद सिपहसालार माना जाता था. वे लोकसभा में जाने से पहले नीतीश कैबिनेट में मंत्री भी रह चुके हैं. हसन जेडीयू के साथ-साथ राजद से भी जुड़े रहे. हसन, लालू यादव कैबिनेट में भी मंत्री रह चुके हैं. नीतीश से राजनीतिक मतभेद के बाद हसन ने 28 मई 2023 को जेडीयू के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद 18 सितंबर 2023 को वे उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल में शामिल हो गए.
इसी साल 22 जुलाई को उन्होंने जनसुराज जॉइन कर लिया था. लेकिन यहां भी ज्यादा समय तक नहीं टिक पाए और अब प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज से भी मोहभंग हो गया. हसन लोकसभा सांसद भी रहे हैं और राज्य विधानमंडल का भी हिस्सा रहे हैं. उनका लंबा राजनीतिक कार्यकाल रहा है. हसन को राजनीति में मंझे हुए खिलाड़ी माना जाता है और मुस्लिम वर्ग में उनकी अच्छी पकड़ है.

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