'मैं मां भारती का सबसे बड़ा पुजारी, 140 करोड़ देशवासी मेरे आराध्य', अबू धाबी में बोले PM मोदी
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पीएम मोदी ने कहा कि मेरे मित्र ब्रह्म स्वामी कह रहे थे कि मोदी सबसे बड़े पुजारी हैं. मैं जानता नहीं हूं कि मैं मंदिरों के पुजारी की योग्यता रखता हूं या नहीं लेकिन इस बात का गर्व अनुभव करता हूं कि मैं मां भारती का पुजारी हूं. परमात्मा ने मुझे जितना समय दिया है, जो शरीर दिया है उसका कण कण सिर्फ और सिर्फ मां भारती के लिए है. 140 करोड़ देशवासी आराध्य देव हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया. यह मंदिर बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्थान (BAPS) का है. मंदिर के उद्घाटन के बाद पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि ये उनका सौभाग्य है कि वे अयोध्या के राम मंदिर के बाद अब अबू धाबी में मंदिर का उद्घाटन कर रहे हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि मेरे मित्र ब्रह्म स्वामी कह रहे थे कि मोदी सबसे बड़े पुजारी हैं. मैं जानता नहीं हूं कि मैं मंदिरों के पुजारी की योग्यता रखता हूं या नहीं लेकिन इस बात का गर्व अनुभव करता हूं कि मैं मां भारती का पुजारी हूं. परमात्मा ने मुझे जितना समय दिया है, जो शरीर दिया है उसका कण कण सिर्फ और सिर्फ मां भारती के लिए है. 140 करोड़ देशवासी आराध्य देव हैं.
उन्होंने कहा कि देश के 140 करोड़ देशवासी मेरे आराध्य देव हैं. साथियों अयोध्या के हमारे उस परम आनंद को आज अबू धाबी में मिली ख़ुशी की लहर ने और बढ़ा दिया. मेरा सौभाग्य है कि मैं पहले अयोध्या में भव्य राम मंदिर और फिर अब अबू धाबी में इस मंदिर का साक्षी बना हूं.
मोदी ने कहा कि हमारे वेदों ने कहा है कि एकम सत्यं विप्रा बहुदा वदंति अर्थात एक ही ईश्वर को, एक ही सत्य को, विद्वान लोग अलग अलग तरह से बताते हैं. ये दर्शन भारत की मूल चेतना का हिस्सा है इसलिए हम स्वभाव से ही न केवल सबको स्वीकार करते हैं बल्कि सबका स्वागत भी करते हैं. हमें विविधता में बेर नहीं दिखता, हमें विविधता ही विशेषता लगती है.
पीएम ने बताईं मंदिर की खास बातें
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मे अबू धाबी के मंदिर की कुछ खास बातों का जिक्र भी किया. उन्होंने कहा, इस मंदिर में आपको पग पग पर विविधता में विश्वास की झलक दिखेगी. हिंदू धर्म के साथ-साथ इजिप्ट की हाइरोग्लिप और कुरान की कहानियां भी उकेरी गई हैं. मंदिर में प्रवेश करते ही वॉल ऑफ हार्मनी के दर्शन हुए थे. इसके बाद इस बिल्डिंग का इम्प्रेंसिव थ्रीडी एक्सपीरियंस होता है, इसे पारसी समाज ने शुरू करवाया है. लंगर की जिम्मेदारी के लिए सिख भाई आगे आए हैं. मंदिर के निर्माण में हर धर्म के लोगों ने काम किए हैं.