
मिडिल ईस्ट में फंस गया अमेरिका? इजरायल पर ईरान के अटैक से पहले अरब देशों ने दी थी सख्त चेतावनी
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इजरायल ने 1 अप्रैल को सीरिया में ईरान के एंबेसी को ड्रोन अटैक में ध्वस्त कर दिया था, जिसमें एक ईरानी कमांडर की मौत हो गई थी. अब इसका जवाब ईरान ने 300 मिसाइलों से दिया, जिसके बाद क्षेत्र में हालात बिगड़ने की आशंका है. हालांकि, इससे पहले ही खाड़ी मुल्कों ने अमेरिका को एक सख्त चेतावनी दी थी, जिससे मिडिल ईस्ट में अमेरिका फंसा हुआ नजर आ रहा है.
इजरायल-हमास की जंग अब क्षेत्रीय संघर्ष में तब्दील होता नजर आ रहा है. इजरायल लगातार ईरान के खिलाफ 'उकसावे वाली कार्रवाई' कर रहा है. इजरायल ने सीरिया में ईरानी एंबेसी को भी ध्वस्त कर दिया. इसका जवाब अब ईरान ने 300 मिसाइलों से दिया. साथ ही चेतावनी दी कि अगर इस जवाबी कार्रवाई का जवाब दिया जाता है तो वे भी शांत नहीं बैठेंगे. हालांकि, इससे पहले ही खाड़ी मुल्कों ने अमेरिका को एक सख्त चेतावनी दी.
सऊदी अरब, यूनाइटेड अरब अमीरात, ओमान और कुवैत ने अमेरिका के सामने स्पष्ट कर दिया था कि ईरान पर जवाबी हमले के लिए उनकी टेरिटरी का इस्तेमाल ना किया जाए. वे ईरान पर संभावित रूप से जवाबी हमले के लिए भी अमेरिकी युद्धक विमानों को अपने क्षेत्र में उड़ान भरने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं.
खाड़ी मुल्कों की चिंता इस बात को लेकर है कि अगर अमेरिका ईरानी पर जवाबी कार्रवाई के लिए अपने खाड़ी एयर या नवल बेस का इस्तेमाल करता है, तो वे भी उस संभावित हमले में उसके एक सहयोगी बन जाएंगे - जिससे वे बचना चाहते हैं.
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'टेरिटरी में बने मिलिट्री बेस का इस्तेमाल ना करें'
मिडिल ईस्ट पर नजर रखने वाली मीडिया ऑर्गेनाइजेशन मिडिल ईस्ट आई की 13 अप्रैल की एक रिपोर्ट में कहा गया कि अरब मुल्कों ने अपील की थी कि ईरान पर कार्रवाई के लिए अमेरिका उनके क्षेत्रों में बने मिलिट्री बेस का इस्तेमाल ना करें. गौरतलब है कि अमेरिका अरब मुल्कों का सबसे बड़ा सिक्योरिटी प्रोवाइडर है. सऊदी से लेकर यूएआई और ओमान तक में उसके मिल्ट्री बेस हैं, जहां ईरान को ध्यान में रखकर उसने दशकों से भारी निवेश किया है.

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