
मां-बाप ने खेतों में मजदूरी करके पढ़ाया, बेटा बना ISRO वैज्ञानिक
AajTak
खेत में मजदूरी करने वाले मां-बाप के इकलौते बेटे ने वो कर दिखाया जिसकी कल्पना उसके जन्मदाता ने भी नहीं की थी. पंढरपुर के सोमनाथ माली इसरो (ISRO) में चुने जाने वाले महाराष्ट्र के एकमात्र छात्र हैं.
'कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों', आपने ये कहावत तो जरूर सुनी होगी लेकिन इसे सच कर दिखाया है एक मजदूर के बेटे ने जो अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में वैज्ञानिक बन गया है. खेत में मजदूरी करने वाले मां-बाप के इकलौते बेटे ने वो कर दिखाया जिसकी कल्पना उसके जन्मदाता ने भी नहीं की थी. पंढरपुर के सोमनाथ माली इसरो (ISRO) में चुने जाने वाले महाराष्ट्र के एकमात्र छात्र हैं. सोमनाथ नंदू माली पंढरपुर तहसील के सरकोली के रहने वाले हैं और उन्होंने अपनी शिक्षा ग्रामीण क्षेत्र के एक स्कूल में पूरी की है. सरकारी स्कूल से इसरो तक का सफर बेहद कठिन परिस्थितियों में तय किया है.
भारत और यूरोप के वर्क कल्चर में फर्क को जर्मनी में काम कर रहे भारतीय इंजीनियर कौस्तव बनर्जी ने 'जमीन-आसमान का अंतर] बताया है. उनके मुताबिक, भारत में काम का मतलब अक्सर सिर्फ लगातार दबाव, लंबे घंटे और बिना रुके डिलीवरी से जुड़ा होता है, जबकि जर्मनी और यूरोप में काम के साथ-साथ इंसान की जिंदगी को भी बराबर अहमियत दी जाती है.

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन IndiGo का संचालन शनिवार को भी पटरी पर नहीं लौट सका. संकट अब पांचवें दिन में पहुंच गया है और दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु व चेन्नई एयरपोर्ट पर यात्री रातभर अपने उड़ानों का इंतजार करते नजर आए. पिछले चार दिनों में एयरलाइन को 2,000 से अधिक उड़ानें रद्द करनी पड़ी हैं, जिससे करीब तीन लाख से ज्यादा यात्रियों की यात्रा योजनाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.











