
महाराष्ट्र-कर्नाटक के सीमा विवाद की जड़ क्या है? दोनों राज्यों की मांग क्या है? जानें सभी सवालों के जवाब
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महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद गहराता जा रहा है. पिछले हफ्ते सीमा विवाद के चलते हिंसा भी हुई थी. दोनों राज्यों के बीच पांच दशकों से ये विवाद चला आ रहा है. तनाव बढ़ने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने भी दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की थी. फिलहाल ये सीमा विवाद सुप्रीम कोर्ट में है.
महाराष्ट्र और कर्नाटक का सीमा विवाद फिलहाल थमता नजर नहीं आ रहा है. सीमा विवाद को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक के नेताओं में जुबानी जंग चल रही है.
बीते हफ्ते ये सीमा विवाद हिंसा और तोड़फोड़ में भी बदल गया था. तब मराठी और कन्नड़ एक्टिविस्ट ने दोनों ओर की गाड़ियों को निशाना बनाया था. इस मामले में पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया था.
9 दिसंबर को लोकसभा में एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना से सांसद धैर्यशील माने ने भी इस मुद्दे को उठाया था. उन्होंने कहा था कि कर्नाटक के मराठी भाषाई इलाकों में विरोध हो रहा है, आंदोलन हो रहे हैं और वहां 'आतंक का माहौल' है. उन्होंने आरोप लगाया था कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री ऐसे बयान दे रहे हैं, जिससे लोग डर रहे हैं और कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो गई है.
महाराष्ट्र और कर्नाटक का सीमा विवाद इतना गहरा है कि जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने कहा था कि जब तक सुप्रीम कोर्ट से ये मसला सुलझ नहीं जाता, तब तक विवादित इलाकों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर देना चाहिए. इतना ही नहीं, जनवरी 2021 में ठाकरे ने तो विवादित इलाकों को 'कर्नाटक अधिकृत महाराष्ट्र' तक कह डाला था.
1. विवाद की जड़ क्या है?
1947 में आजादी मिलने के बाद देश में भाषाई आधार पर राज्यों के बंटवारे की मांग उठने लगी. पहले श्याम धर कृष्ण आयोग बना. इस आयोग ने भाषाई आधार पर राज्यों के गठन को देशहित के खिलाफ बताया.

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