
मजबूरी ही नहीं वर्ल्ड इकोनॉमी के लिए भी जरूरी...', जेलेंस्की को भारत ने समझाया क्यों इंडिया के लिए जरूरी है रूस का तेल
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यूक्रेन दौरे पर गए पीएम मोदी ने शुक्रवार को वहां के राष्ट्रपति वलोदिमीर जेलेंस्की के साथ द्विपक्षीय बैठक की, बाद में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक सवाल के जवाब में कहा कि दोनों नेताओं की बीतचीत में रूस के साथ भारत के ऊर्जा व्यापार पर भी चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि ‘हमने यूक्रेनी पक्ष को यह समझाया कि ऊर्जा बाजार का मौजूदा हाल क्या है?
यूक्रेन दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्रपति वलोदिमीर जेलेंस्की को भारत आने का निमंत्रण दिया. इस पर जेलेंस्की ने कहा कि उन्हें "महान" देश की यात्रा करके खुशी होगी. पीएम मोदी ने कीव की लगभग नौ घंटे की यात्रा की जो तीन दशक पहले यूक्रेन के आजाद होने के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी.
दोनों नेताओं के बीच बातचीत के बाद मीडिया ब्रीफिंग के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत ने यूक्रेन के साथ इंडिया के तेल सौदे पर उनकी चिंताओं का जवाब दिया है. विदेश मंत्री के मुताबिक भारत ने यूक्रेन को मौजूदा तेल बाजार की स्थिति, भारत पर पड़ने वाले इसके असर, रूस से तेल खरीदने की भारत की रणनीतिक जरूरत और वर्ल्ड इकोनॉमी पर इसके असर को समझाया है.
विदेश मंत्री जयशंकर ने पुष्टि की कि मोदी ने जेलेंस्की को भारत आने का निमंत्रण दिया है. उन्होंने कहा, "यह महत्वपूर्ण है कि हमारे प्रधानमंत्री ने 1992 के बाद पहली बार यूक्रेन का दौरा किया है. ऐसे अवसरों पर यह स्वाभाविक है कि वह निमंत्रण दें, जैसा कि उन्होंने इस मामले में किया."
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, "इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि अपनी सुविधा के अनुसार, राष्ट्रपति जेलेंस्की भारत आएंगे." संयुक्त बयान में यह भी कहा गया कि मोदी ने जेलेंस्की को अपनी सुविधा के अनुसार भारत आने का निमंत्रण दिया.
जेलेंस्की बोले- भारत आकर खुशी होगी
मोदी के निमंत्रण के बारे में मीडिया ब्रीफिंग में पूछे जाने पर जेलेंस्की ने कहा कि उन्हें भारत आकर खुशी होगी. उन्होंने कहा, "हां, क्योंकि जब आप रणनीतिक साझेदारी शुरू करते हैं और आप कुछ बातचीत शुरू करते हैं, तो मुझे लगता है कि आपको समय बर्बाद करने और बहुत देर तक रुकने की जरूरत नहीं होती है. इसलिए मुझे लगता है कि फिर से मिलना अच्छा होगा." यूक्रेनी राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि वह चाहते हैं कि भारत उनके देश के पक्ष में हो.

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