
मंदिर के पिलर का मस्जिद बनाने में इस्तेमाल, तहखाने में देवताओं की मूर्तियां... ज्ञानवापी के ASI सर्वे की बड़ी बातें
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वाराणसी की जिला कोर्ट द्वारा संबंधित पक्षों को सर्वे रिपोर्ट की कॉपी उपलब्ध कराए जाने की अनुमति दे दी गई थी. हिंदू पक्ष लगातार इस रिपोर्ट की कॉपी मांग रहा था. अनुमति मिलने के बाद हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों सहित कुल 11 लोगों ने पहले दिन काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी परिसर पर एएसआई सर्वे रिपोर्ट हासिल करने के लिए कोर्ट में आवेदन किया था.
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने गुरुवार को दावा किया कि ज्ञानवापी परिसर की एएसआई सर्वे रिपोर्ट से पता चलता है कि मस्जिद पहले से मौजूद मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी. उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि 839 पेजों वाली सर्वे रिपोर्ट की हार्ड कॉपी गुरुवार देर शाम कोर्ट द्वारा संबंधित पक्षों को उपलब्ध करा दी गई है.
दरअसल, बुधवार को कोर्ट द्वारा संबंधित पक्षों को सर्वे रिपोर्ट की कॉपी उपलब्ध कराए जाने की अनुमति दे दी गई थी. हिंदू पक्ष लगातार इस रिपोर्ट की कॉपी मांग रहा था. अनुमति मिलने के बाद हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों सहित कुल 11 लोगों ने पहले दिन काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी परिसर पर एएसआई सर्वे रिपोर्ट हासिल करने के लिए कोर्ट में आवेदन किया था.
एएसआई की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक परिसर में वैज्ञानिक जांच/सर्वेक्षण के दौरान देखी गई सभी वस्तुओं का विधिवत दस्तावेजीकरण किया गया था. इन वस्तुओं में शिलालेख, मूर्तियां, सिक्के, वास्तुशिल्प टुकड़े, मिट्टी के बर्तन, और टेराकोटा, पत्थर, धातु और कांच की वस्तुएं शामिल हैं. इस दौरान पूरा ध्यान रखा गया कि सर्वे से मौजूदा संरचना को कोई नुकसान न हो.
पढ़ें ज्ञानवापी की ASI सर्वे रिपोर्ट की बड़ी बातें-
- मंदिर के पिलर को वर्तमान ढांचे (मस्जिद) को बनाने के लिए री-यूज किया गया. पिलर्स और प्लास्टर को री-यूज किया गया. थोड़े से मोडिफिकेशन के साथ मस्जिद में इन्हें इस्तेमाल किया गया. हिंदू मंदिर के खंभों को थोड़ा बहुत बदलकर नए ढांचे के लिए इस्तेमाल किया गया. पिलर के नक्काशियों को मिटाने की कोशिश की गई.
- सर्वे के दौरान एक पत्थर शिलालेख मिला, जिसका टूटा हुआ हिस्सा पहले से ASI के पास था. इसमें हजरत आलमगीर यानी मुगल सम्राट औरंगजेब के 20वें शासनकाल में (1676-77 सीई) के अनुरूप मस्जिद का निर्माण दर्ज किया गया था. इस शिलालेख में यह भी दर्ज है कि वर्ष 1792-93 सीई में, मस्जिद की मरम्मत सहन आदि से की गई थी. इस पत्थर के शिलालेख की तस्वीर वर्ष 1965-66 में एएसआई रिकॉर्ड में दर्ज की गई थी.

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