भारत और रूस की दोस्ती कमजोर करने की कोशिश में अमेरिका, दे दिया ये ऑफर
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अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा है कि अमेरिका हथियार खरीदारी और ऊर्जा क्षेत्र में भारत की रूस पर निर्भरता को कम करने में मदद करना चाहता है. विदेश विभाग के अधिकारी ने न्यूयॉर्क में पत्रकारों से कहा कि पिछले 40 सालों में भारत रूस पर काफी ज्यादा निर्भर हो गया है.
यूक्रेन से जंग लड़ रहे रूस को अमेरिका समेत कई प्रमुख देशों ने तमाम तरह के प्रतिबंधों से बेशक बांध दिया हो, लेकिन भारत ने उसका साथ कभी नहीं छोड़ा. भारत और रूस के कारोबारी संबंध लगातार मजबूत बने हुए हैं. ऐसे में खबर है कि अमेरिका हथियार और ऊर्जा क्षेत्र में भारत की रूस पर निर्भरता कम करने की कोशिश कर रहा है. मंगलवार को अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि इस मामले में अमेरिका भारत के साथ गहन बातचीत कर रहा है.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने न्यूयॉर्क में मीडिया से बात करते हुए कहा कि रूस अब हथियारों का विश्वसनीय सप्लायर नहीं रहा है. अमेरिकी अधिकारी ने आगे कहा कि भारत को नए बाजारों में भी वास्तविक लाभ हो सकता है. उन्होंने कहा कि भारत रूस पर काफी ज्यादा निर्भर हो गया है और निर्भरता भारत ने खुद करीब 40 सालों में खुद ही बढ़ाई है.
अधिकारी ने कहा कि पहले भारत सेना को लेकर रूस पर निर्भर था और अब ऊर्जा को लेकर है. विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने आगे कहा कि इसी वजह से अमेरिका इसमें विविधता लाने के लिए विकल्प देने में भारत की मदद करना चाहता है. दूसरी ओर, अमेरिका के इस बयान पर भारत की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
अमेरिका की ओर से यह बयान रूस के उस फैसले से कुछ घंटों पहले आया है, जिसमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी सेना का मोबिलाइजेशन करने का ऐलान किया है.
व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि अपनी मातृभूमि, इसकी संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता के लिए और मुक्त कराए क्षेत्रों में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मैं (पुतिन) रक्षा मंत्रालय और जनरल स्टाफ के रशियन फेडरेशन में आंशिक मोबिलाइजेशन के प्रस्ताव को समर्थन देना जरूरी समझता हूं.
यूक्रेन के साथ युद्ध कर रहे रूस के राष्ट्रपति का यह बयान साफ कर रहा है कि अभी वे जंग रोकने के मूड में नहीं हैं. हालांकि, शुरुआत से ही भारत लगातार रूस और यूक्रेन से युद्ध नहीं बल्कि बातचीत के जरिए ही हल निकालने की बात कहता आया है.