
बिहार में RJD और कांग्रेस ने अपने गठबंधन में पड़ी दरार कैसे मिटाई, पढ़ें- Inside Story
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कांग्रेस नेताओं के ऐसे बयान आरजेडी को बिल्कुल भी रास नहीं आए. पार्टी ने कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के सामने अपनी आपत्ति दर्ज कराई और बिहार में गठबंधन को लेकर अखबारों में छपे कांग्रेस नेताओं के बयान उन्हें भेजे गए.
आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस लालू प्रसाद यादव की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी. कांग्रेस पार्टी की ओर से मंगलवार को यह ऐलान किया गया है और इसके बाद बिहार में पार्टी की ओर से अकेले चुनाव लड़ने की तमाम अटकलों पर विराम लग गया है. लेकिन इस दौरान एक समय ऐसा भी आया था जब कांग्रेस और आरजेडी के आपसी रिश्ते काफी खराब हो गए थे.
कांग्रेस नेतृत्व ने लगाई मुहर
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार शाम बिहार के नेताओं के साथ बैठक की और यह साफ कर दिया कि आरजेडी के साथ गठबंधन बरकरार रहेगा. इसके साथ ही उन्होंने यह स्पष्ट संकेत भी दिया कि अन्य नेताओं के बयानों पर विचार नहीं किया जाएगा. पवन खेड़ा समेत कांग्रेस के कई नेताओं ने कहा था कि पार्टी को बिहार में 1990 के दशक से पहले की तरह ही चलना चाहिए या फिर अकेले चुनाव लड़ना चाहिए, जिसके बाद दोनों दलों के रिश्तों में खटास आ गई थी.
गौरतलब है कि 1997 में कांग्रेस-आरजेडी के बीच गठबंधन हुआ था. बिहार कांग्रेस की विधायक प्रतिमा दास ने कहा कि कांग्रेस को राज्य की सभी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ना चाहिए. इसी तरह बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता किशोर कुमार झा ने कहा कि पार्टी को गठबंधन में या तो 100 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए या फिर अकेले चुनाव लड़ना चाहिए.
प्रोटेस्ट और प्रेशर आया काम
कांग्रेस नेताओं की ओर से ऐसे बयान आरजेडी को बिल्कुल भी रास नहीं आए और उन्होंने कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के सामने अपनी आपत्ति दर्ज कराई. इसके तहत बिहार में गठबंधन को लेकर अखबारों में छपे कांग्रेस नेताओं के बयान उन्हें भेजे गए. इसके बाद में अपनी नाराजगी जताने के लिए आरजेडी ने सोमवार को आयोजित हुई अब्दुल बारी सिद्दीकी की इफ्तार पार्टी के मौके का इस्तेमाल किया.

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