
बांग्लादेश के टुकड़े करने की मांग कितनी जायज, क्या मोहम्मद युनूस को सबक सिखाने का समय आ गया है?
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बांग्लादेश जो हरकतें कर रहा है अगर भारत ने उस पर लगाम नहीं लगाई तो आगे चलकर निश्चित ही यह नासूर बन जाएगा. जरूरत है कि समय रहते ही बांग्लादेश को सबक सिखा दिया जाए. अमेरिकी राष्ट्रुपति डोनाल्ड ट्रंप भी अपने पीसी में सीधे कह चुके हैं कि बांग्लादेश मामले मुझे कुछ नहीं करना वहां का काम भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद देख लेंगे.
कहा जाता है कि किसी भी महान कार्य के लिए प्रकृति खुद परिस्थितियां तैयार कर देती है. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने चीन पहुंचकर जो कहा है वह उनकी राजनीतिक अदूरदर्शिता का प्रमाण तो है ही भारत के लिए भी बहुत शर्मनाक है. भारत के साये में रहने वाला देश जिसको बनाने में उसकी बड़ी भूमिका रही थी उस देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति की इतनी हिम्मत हो गई कि वो अपने संस्थापक को ही हर रोज आंख दिखाने लगा है. यूनुस ने चीन की धरती पर जो हिमाकत की है वह केवल दुश्मन देश ही कर सकता है. युनुस ने न केवल भारत की मजबूरियां गिनाईं बल्कि इस क्षेत्र के समंदर का खुद को (बांग्लादेश को) एक मात्र बादशाह बताया.
जाहिर है मोहम्मद यूनुस को तत्काल इलाज की जरूरत है. बांग्लादेश का फोड़ा भारत के लिए नासूर बन जाए इससे पहले उसे काट फेंकने की तैयारी करनी चाहिए. मोहम्मद युनूस ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों का जिक्र करते हुए चीन में कहा कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों, जिन्हें सेवन सिस्टर्स कहा जाता है. वे चारों ओर से भूमि से घिरे हुए देश हैं, भारत का लैंड लॉक्ड क्षेत्र हैं उनके पास समुद्र तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है. इस तरह की बातों के लिए ही जेएनयू के छात्र शरजील इमाम पर देश द्रोह का आरोप लगाकर सरकार ने गिरफ्तार किया था.जाहिर है कि यूनुस का बयान भी भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसा ही है. इसलिए अब बांग्लादेश को भी सबक सिखाने की जरूरत है.
पाकिस्तान को जब भारत जवाब दे सकता है तो बांग्लादेश को क्यों नहीं
अभी ज्यादा साल नहीं बीते जब पाकिस्तान भारत में घुसकर हमले करता रहता था. करगिल युद्ध,मुंबई सीरियल ट्रेन ब्लास्ट, मुंबई पर हमला, संसद पर हमला, फ्लाइट हाईजैक आदि से भारत त्रस्त हो चुका था. पर उरी के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा हत्याकांड के बाद बालाकोट स्ट्राइक ने पाकिस्तान को बोलती बंद कर दी है.
पाकिस्तान में आए दिन टार्गेट किलिंग भी हो रही है जिसे पाकिस्तान भारतीय एजेंसियों की करतूत बताता है. पर आज पाकिस्तान की हिम्मत नहीं है कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के खिलाफ मुंह भी खोल सके. 1971 में जब भारत ने बांग्लादेश बनाने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्यवाही शुरू की थी उस समय वैश्विक और आंतरिक दोनों तरह की स्थितियां भारत के अनुकूल नहीं थीं.
फिर भी भारत ने पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बांटने में सफलता पाई थी. आज पाकिस्तान के पास परमाणु बम भी है फिर भी भारत पाकिस्तान को सबक सिखाने से नहीं डरता है. जाहिर है बांग्लादेश किस खेत की मूली है. बांग्लादेश तो पाकिस्तान से सैन्य साजो सामान में कमतर है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आज बांग्लादेश को अमेरिका का साथ मिलने से रहा. ऐसी स्थिति में बांग्लादेश की हेकड़ी कम करने के लिए अब उसे सबक सिखाना जरूरी है.

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