बयानों पर बवाल, MVA से सियासी पंगा... भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से क्यों दिया इस्तीफा?
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भगत सिंह कोश्यारी बतौर महाराष्ट्र गवर्नर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे. उन्होंने कई बार ऐसे बयान दिए, जिसको लेकर विवाद छिड़ गया और माफी तक मांगनी पड़ी. इसके साथ ही वह लगातार विपक्ष और खासकर महाविकास अघाड़ी के निशाने पर रहे. उन पर बीजेपी के इशारे पर काम करने के भी आरोप लगे.
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है. उनकी जगह पर झारखंड के राज्यपाल रहे रमेश बैस को महाराष्ट्र में नियु्क्त किया गया है. दरअसल, कोश्यारी ने हाल ही में अपने पद से इस्तीफा देने की बात कही थी. इसके लिए उन्होंने पत्र लिखकर पद मुक्त किए जाने की मांग की थी. इसके साथ ही उन्होंने ट्वीट कर लिखा था, 'पीएम मोदी की हाल ही की मुंबई यात्रा के दौरान मैंने उन्हें अपनी सभी राजनीतिक जिम्मेदारियों से मुक्त होने और अपना शेष जीवन पढ़ने, लिखने और अन्य गतिविधियों में बिताने की अपनी इच्छा से अवगत कराया है. मुझे हमेशा पीएम मोदी से स्नेह मिला है और मुझे इस संबंध में भी ऐसा ही मिलने की उम्मीद है.'
राज्यपाल की कुर्सी पर लगभग 3 साल रहे कोश्यारी इस छोटे से कार्यकाल में अपने बयानों और फैसलों से कई बार विवाद खड़ा कर चुके हैं. अपने कार्यकाल के दौरान महाविकास अघाड़ी के साथ भी उनकी तनातनी खुलकर नजर आई. वहीं उनके बयानों को लेकर विपक्ष लगातार उन पर निशाना साधता रहा और बीजेपी के इशारे पर काम करने का आरोप लगाता रहा. उन्होंने कई बार ऐसे बयान दिए, जिसको लेकर विवाद छिड़ गया और माफी तक मांगनी पड़ी. इसी साल जनवरी में उन्होंने महाराष्ट्र राजभवन में आयोजित जैन समुदाय के एक कार्यक्रम में कहा था कि भले ही इस पद पर उन्हें कोई खुशी नहीं है, लेकिन जब आध्यात्मिक नेता गवर्नर हाउस में आते हैं और वे ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेते हैं तो उन्हें बहुत खुशी मिलती है.
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को साल 2019 में महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किया गया था. इससे पहले वह नैनीताल के सांसद भी रह चुके हैं. वह 2002 से 2007 तक वे उत्तराखंड विधानसभा में नेता विपक्ष रहे. फिर वर्ष 2008 से 2014 तक वे उत्तराखंड से राज्यससभा के सदस्य चुने गए थे. इसके बाद उन्हें महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल सी रविशंकर का कार्यकाल पूरा होने के बाद यहां का नया राज्यपाल नियु्क्त किया गया था.
दिन निकलते ही फडणवीस को दिलाई थी सीएम की शपथ
महाराष्ट्र के राज्यपाल के तौर पर भगत सिंह कोश्यारी का एक फैसला सबसे अधिक विवादों में रहा. जिसको लेकर वह विपक्ष के निशाने पर आ गए थे. कारण, 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद कोश्यारी ने 23 नवंबर, 2019 को तड़के देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई थी. हालांकि इसके तीन दिन बाद अजीत पवार के सरकार से अलग होने के बाद फडणवीस ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
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