‘बंगाल मुख्य सचिव प्रकरण एक बुरी मिसाल क़ायम करता है और ये सिविल सेवकों को हतोत्साहित करेगा’
The Wire
कुछ क़ानून विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय को सेवा विस्तार देने का बाद उनका तबादला करने का आदेश बिल्कुल ग़लत है. उन्हें जारी कारण बताओ नोटिस दर्शाता है कि भारतीय नौकरशाही किस हाल में है. बताया जा रहा है कि केंद्र के आदेश का पालन न करने से आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51बी का उल्लंघन होता है. दोष सिद्ध होने पर उन्हें एक साल तक क़ैद हो सकती है.
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय से जुड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीते 28 मई को चक्रवाती तूफान यास को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समीक्षा बैठक में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बंद्योपाध्याय के शामिल नहीं होने के कुछ घंटों बाद बंद्योपाध्याय का केंद्र सरकार ने तबादला करते हुए 31 मई को दिल्ली में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को रिपोर्ट करने को कहा था. पश्चिम बंगाल कैडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी बंद्योपाध्याय 60 वर्ष का होने पर 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे. इससे पहले तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के पांच दिन बाद 10 मई को ममता बनर्जी ने कोरोना वायरस महामारी के कारण बंद्योपाध्याय को तीन महीने का सेवा विस्तार देने का अनुरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. इसके बाद बीते 24 मई को केंद्र सरकार ने इसकी मंजूरी दे दी थी. हालांकि ताजा घटनाक्रम के बाद केंद्र ने सेवा विस्तार का आदेश बदलकर उनके तबादले का आदेश जारी करते हुए उन्हें 31 मई को ही दिल्ली रिपोर्ट करने को कहा था. इसके विपरीत बंद्योपाध्याय ने 31 मई को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव के पद से इस्तीफा दे दिया और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें दिल्ली भेजने से इनकार करते हुए अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त कर लिया.More Related News