
फायर चींटियों के काटने से कैसे 2 साल की मासूम की गई जान, जानें कितनी खतरनाक होती हैं ये?
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घर के यार्ड में खेलते समय दो साल की एक बच्ची को चींटियों ने काट लिया था. अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. अब माता-पिता ने अस्पताल पर मुकदमा किया है. वहीं सवाल ये उठता है कि क्या वाकई में लाल फायर चींटियां इतनी ज्यादा खतरनाक होती है?
अमेरिका में एक बच्ची की जान फायर चींटियों के काटने की वजह से चली गई. बच्ची की मौत के लिए माता-पिता ने अस्पताल की लापरवाही को जिम्मेदार माना. वहीं सबसे बड़ा सवाल ये भी है कि आखिर ये चींटियां क्या वाकई में इतनी खतरनाक होती हैं कि इसके डंक से किसी की जान जा सकती है?
दो साल की एक प्यारी बच्ची की फायर चींटियों के काटने से उत्पन्न पीड़ादायक एलर्जी के कारण मृत्यु हो गई थी. अब उसके माता-पिता ने यह आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया है कि अस्पताल का स्टाफ उनकी बच्ची की मृत्यु को रोक सकता था, लेकिन उसने अपने काम में लापरवाही बरती.
चींटियों के काटने से उत्पन्न एलर्जी से हुई मौत 7 अक्टूबर, 2024 को 2 साल की माया गेटाहुन को उसके माता-पिता - बेथेलहेम गेटू हंडी और गेटहुन बिरहानु उस वक्त अस्पताल लेकर पहुंचे जब उसे अपने सामने के यार्ड में खेलते समय चींटियों ने काट लिया था. माया के माता-पिता अब अटलांटा के बाहरी उपनगर स्नेलविले जॉर्जिया स्थित अस्पताल पीडमोंट ईस्टसाइड मेडिकल सेंटर के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं.
बच्ची को दवा देने में हुई लापरवाही बेल लॉ फर्म के वकीलों द्वारा दायर मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि अस्पताल के कर्मचारियों ने एपिनेफ्रीन देने के लिए 20 मिनट से अधिक समय तक इंतजार किया. एपिनेफ्रीन एक ऐसी दवा है जिसका उपयोग एनाफाइलैक्सिस या गंभीर एलर्जी प्रतिक्रियाओं के इलाज के लिए किया जाता है.
मुकदमे में दावा किया गया कि अस्पताल के कर्मचारियों को पता था कि माया को जीवन रक्षक दवा की जरूरत है, लेकिन फिर भी उन्होंने उसे दवा देने में देरी की, जिससे उसकी हालत और खराब हो गई.स्टाफ की कथित देरी के अलावा, माया का इलाज कर रही चिकित्सक, डॉ. रिचिसा सालाजार पर यह आरोप लगाया गया कि उन्हें यह नहीं पता था कि अस्पताल में बच्ची के इलाज के लिए आवश्यक उपकरण नहीं थे.
माता-पिता ने मांगा हर्जाना मुकदमे में कहा गया है कि माया के माता-पिता असहाय होकर देखते रहे, क्योंकि उनकी बेटी ऑक्सीजन की कमी से धीरे-धीरे मर रही थी. माया के माता-पिता कानूनी फीस के अतिरिक्त 10,000 डॉलर का हर्जाना मांग रहे हैं, तथा जूरी द्वारा मुकदमा चलाए जाने की मांग कर रहे हैं.

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