प्रियंका गांधी का अब तक का सबसे बड़ा राजनीतिक दांव कितना कारगर होगा?
The Wire
यूपी में महिलाओं के लिए 40 फीसदी सीटों की घोषणा करके प्रियंका गांधी ने एक तरह से यह साफ कर दिया है कि कांग्रेस सीटों की एक बड़ी संख्या पर चुनाव लड़ेगी. यानी अन्य पार्टियों के साथ कोई समझौता या गठबंधन नहीं करेगी. महिला सशक्तिकरण दांव को इतने प्रचार-प्रसार के साथ खेलने का तभी कोई तुक बनता है, जब आप चुनावी संग्राम में अपनी उपस्थिति को उल्लेखनीय ढंग से बढ़ाएं.
आगामी उत्तर प्रदेश (यूपी) विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी द्वारा 40 प्रतिशत सीटों पर महिला उम्मीदवार उतारने के प्रियंका गांधी के फैसले ने काफी हलचल मचाई है. इस विचार में एक जोरदार प्रतीकात्मकता है, लेकिन यह किसी भी मायने में अनूठा नहीं है. During 2019 Lok Sabha election, In #UP #women #turnout exceeded men turnout by 1%. #Goa women turnout was higher compared to men turnout by 2.5% and in #Manipur women turnout higher by 4.4%. Women #vote needs to be watched during Assembly #Elections2022. @csdsdelhi @LoknitiCSDS
याद कीजिए, नीतीश कुमार ने सचेत रणनीति के तहत बिहार में महिला मतदाताओं को कल्याणकारी योजनाओं की एक लंबी फेहरिस्त से लुभाया. राज्य में शराबबंदी का उनका फैसला प्राथमिक तौर पर महिला वोटरों को लक्षित था. यहां तक कि उन्होंने महिला उम्मीदवारों को 35 प्रतिशत टिकट भी दिए. जनता दल यूनाइटेड के 43 महिला उम्मीदवारों में सिर्फ 6 जीत पाईं. — Sanjay Kumar (@sanjaycsds) October 22, 2021
उसके ठीक उलट महिला उम्मीदवारों को हाल के पश्चिम बंगाल चुनावों में कहीं ज्यादा सफलता मिली. टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन कहते हैं कि पार्टी ने करीब 40 फीसदी टिकट महिलाओं को दिए और उनकी सफलता की दर भी समान रूप से अच्छी थी- पार्टी के विजेता उम्मीदवारों मे 40 फीसदी महिलाएं थीं.
बिहार में जेडीयू के विजेता उम्मीदवारों में महिला उम्मीदवारों का प्रतिशत सिर्फ 13 था, जबकि उन्हें कुल 35 फीसदी टिकट मिले थे.