प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक कहीं कवरेज की भूख मिटाने का प्रयोजन तो नहीं है
The Wire
प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक हुई है. इस सवाल को रैली में कितने लोग आए, कितने नहीं आए इसे लेकर ज़्यादा बहस की ज़रूरत नहीं. सुरक्षा इंतज़ामों में पंजाब सरकार की भूमिका हो सकती है लेकिन यह एसपीजी के अधीन होती है. प्रधानमंत्री कहां जाएंगे और उनके बगल में कौन बैठेगा यह सब एसपीजी तय करती है. इसलिए सबसे पहले कार्रवाई केंद्र सरकार की तरफ से होनी चाहिए.
प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक को लेकर भाजपा की प्रतिक्रिया और मीडिया के डिबेट दोनों एक दूसरे के पूरक हैं. ऐसा लगता है कि सुरक्षा में चूक का मुद्दा दोनों के लिए इवेंट के लिए और फिर इवेंट के जरिये डिबेट के लिए कटेंट बन कर आया है. The BJP says the protestors (seen waving BJP flags) were BJP workers who came to the scene AFTER the PM’s cavalcade made a U turn. How were civilians allowed on a sanitized route and that too with tempos and buses when the PM was still in line of sight. 8.
प्रधानमंत्री कार्यालय, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, एसपीजी की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. पंजाब के मुख्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की है लेकिन पंजाब के पुलिस प्रमुख ने प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की है. — meetu jain (@meetujain) January 5, 2022
भठिंडा एयरपोर्ट से हुसैनीवाला के राष्ट्रीय शहीद स्मारक तक की दूरी 111 से लेकर 140 किलोमीटर बताई जा रही है. अगर सड़क मार्ग से गए हैं तो वापसी का भी अंदाज़ा होगा क्योंकि मौसम तो दिन भर ख़राब रहा है. भारत के प्रधानमंत्री ने कब इतनी लंबी सड़क यात्रा की है, याद नहीं है.
दो घंटे तक सफ़र करना और वापस आने तक इतने लंबे हाइवे को सुरक्षा से लैस रखना आसान काम नहीं है. यह तभी हो सकता है जब पहले से सब कुछ तय हो. उस दिन या कुछ घंटे के अंतराल पर केवल आपात स्थिति में किया जा सकता है मगर सामान्य रूप से नहीं.