
पेट्रोल-डीजल की कीमतों का गणित, राज्यों पर क्यों है दबाव, क्या है दाम न घटाने पर उनके तर्क
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Petrol-Diesel Tax: केंद्र सरकार की ओर से पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने से एक बार फिर राज्यों पर भी वैट घटाने का दबाव बढ़ गया है. कई राज्य सरकारें वैट घटाने का विरोध कर रहीं हैं. लेकिन क्या वजह है जिस कारण राज्य सरकारें वैट घटाने से बच रहीं हैं?
Petrol-Diesel Tax: केंद्र सरकार ने सात महीने में दूसरी बार एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर दी है. इस बार केंद्र ने पेट्रोल पर 8 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी घटा दी है. इससे पहले पिछले साल नवंबर में पेट्रोल पर 5 रुपये और डीजल पर 10 रुपये एक्साइज ड्यूटी घटाई थी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने से केंद्र के राजस्व में सालभर में एक लाख करोड़ रुपये का भार आएगा.
केंद्र की ओर से एक्साइज ड्यूटी घटाए जाने के बाद अब एक बार फिर से राज्य सरकारों पर भी वैट घटाने का दबाव बढ़ गया है. बीजेपी ने गैर-बीजेपी शासित राज्य सरकारों से पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाने की मांग की है. महाराष्ट्र और केरल जैसे कुछ गैर-बीजेपी शासित राज्यों ने वैट घटा भी दिया है, लेकिन अब भी कुछ ऐसे राज्य हैं जो वैट घटाने से साफ मना कर रहे हैं.
केंद्र के एक्साइज ड्यूटी घटाए जाने के बाद अब सियासत भी शुरू हो गई है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि केंद्र को पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी यूपीए सरकार के स्तर पर लाना चाहिए, ताकि सही मायने में आम आदमी को राहत मिल सके. तेलंगाना के वित्त मंत्री टी. हरीश राव ने भी यही बात कही है.
राज्य सरकारें पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाने से बचती क्यों हैं? इसे जानने से पहले पेट्रोल-डीजल की कीमत और एक्साइज ड्यूटी का गणित समझना जरूरी है.
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1. पेट्रोल-डीजल की कीमत का गणित

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