
पीएम मोदी के 'नौसिखिए' वाले मजाक के पीछे था बड़ा मैसेज! ऑनलाइन गेमिंग कानून से साफ हो गई पूरी पिक्चर
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ऑनलाइन बेटिंग वाले गेमिंग-ऐप्स को लेकर सरकार का ब्लूप्रिंट दो पहलुओं पर आधारित है. पहला- गैरकानूनी और नुकसानदेह मनी गेम्स पर सख्ती. दूसरा- ई-स्पोर्ट्स को एक उद्योग और सॉफ्ट पावर के रूप में बढ़ावा देना. सरकार का अनुमान है कि 45 करोड़ भारतीय हर साल लगभग 20000 करोड़ रुपये वास्तविक मनी गेम्स में गंवा देते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अप्रैल को देश के मशहूर गेमर्स से मुलाकात की थी. ये बातचीत हल्की-फुल्की रही. इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने ठहाका लगाया और 'नौसिखिया' शब्द का इस्तेमाल किया. इस मज़ाकिया अंदाज़ के पीछे एक गंभीर संदेश छिपा था. दरअसल, भारत के ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर को लेकर सरकार खुद प्रधानमंत्री मोदी की देखरेख में नीति तैयार कर रही थी. हाल ही में संसद से पारित और राष्ट्रपति की मंज़ूरी मिलने के बाद ऑनलाइन गेमिंग पर नया क़ानून लागू हो गया है. लिहाजा, भारत सरकार ने रियल मनी बेस्ड गेमिंग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है. इस फैसले से Dream11, MPL, Zupee जैसी कंपनियों को बड़ा झटका लगा है.
दरअसल, पीएम मोदी सिर्फ़ नौकरियों या ग्लोबल उपलब्धियों के वादों से ही नहीं, बल्कि उन परिवारों की भावुक अपीलों से भी प्रेरित हुए, जिन्होंने ऑनलाइन मनी गेम्स में अपने प्रियजनों को खोया. ई-स्पोर्ट्स का सपना देखने वाले युवाओं की कहानियों के साथ कर्ज़, लत और निराशा की हकीकत भी जुड़ी थी. इसी मुद्दे पर वित्त, खेल और आईटी मंत्रालय ने मिलकर एक खाका तैयार किया और प्रधानमंत्री मोदी से चर्चा की.
सरकार के नए ऑनलाइन गेमिंग कानून ने देशभर में तीखी बहस छेड़ दी है. एक तरफ माता-पिता और कार्यकर्ता जुए-शैली के पैसे वाले खेलों और असली ई-स्पोर्ट्स के बीच एक मज़बूत दीवार बनाने की मांग कर रहे थे. दूसरी तरफ तकनीकी स्टार्टअप, पेशेवर खिलाड़ी और निवेशक हर चीज़ को एक ही नज़रिए से देखने के ख़िलाफ़ चेतावनी दे रहे थे. सूत्रों के मुताबिक पिछले कुछ महीनों में ऑनलाइन गेमिंग पर 360° नज़रिया हासिल करने के लिए विशेषज्ञ समूहों, अभिभावकों, ईडी, डीआरआई जैसी एजेंसियों, बैंकों और गेमिंग उद्योग के साथ गहन विचार-विमर्श हुआ.
आंकड़े बताते हैं कि भारत में 48.8 करोड़ लोग ऑनलाइन गेमिंग कर रहे हैं और 2025 तक यह संख्या 51.7 करोड़ तक पहुंच जाएगी. दुनियाभर में ई-स्पोर्ट्स दर्शकों की संख्या 2025 तक 64 करोड़ को पार कर जाएगी, जिसमें भारत सबसे बड़े दर्शकों में से एक होगा. अकेले 2024 में गेमिंग स्टार्टअप्स ने 3000 करोड़ का निवेश आकर्षित किया और यह 2025 में बढ़कर 5000 करोड़ हो सकता है. ऑनलाइन गेमिंग का स्याह पक्ष सरकार का अनुमान है कि 45 करोड़ भारतीय हर साल लगभग 20000 करोड़ रुपये वास्तविक मनी गेम्स में गंवा देते हैं. ये पैसा इतना है कि ये सब बन सकता है... 500 बिस्तरों वाले 2000 अस्पताल या 200 विश्वविद्यालय या 2000 किलोमीटर लंबा हाईवे या 40000 विद्युतीकरण वाले गांव. इसके बजाय ये पैसा सट्टेबाज़ी ऐप्स में बर्बाद हो रहा है.
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