पाकिस्तान में भारत के नाम पर नहीं, लेकिन भारत में पाकिस्तान के नाम पर चुनाव होता है: मनोज झा
The Wire
राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि 1952 का पहला आम चुनाव समावेशी विकास, रोज़गार पर लड़ा गया था, लेकिन 70 साल बाद हम किस पर चुनाव लड़ रहे हैं? जिन्ना कहीं भी होंगे, सोच रहे होंगे कि जो जीते-जीते मैंने नहीं पाया, वो भाजपा वालों ने मुझे मरने के बाद दे दिया. झा ने रोज़गार मांगने वाले छात्रों पर पुलिस की कार्यवाही को लेकर केंद्र की आलोचना भी की.
नई दिल्लीः राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सांसद मनोज झा ने राज्यसभा में बीते चार फरवरी को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए रोजगार मांगने वाले छात्रों पर पुलिस की कार्यवाही को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की.
उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण को लेकर निराशा जताते हुए कहा, ‘राष्ट्रपति का भाषण एक बहुत बड़ी चीज होती है, देश का ब्लूप्रिंट होता है, एक दिशा और दशा देने की कोशिश होती है. हम विपक्ष में हैं, लेकिन देश की दशा और दिशा से चिंतित अगर हम हैं तो अभिभाषण की पंक्तियों में भी वो चिंता की लकीरें दिखनी चाहिए, जब वो चिंता की लकीरें नहीं दिखती हैं तो अहसास होता है कि क्या महामहिम को नहीं लगता होगा कि देश के विजुअल अच्छे नहीं हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘छात्रों पर आंसू गैस के गोले दागे जा रहे हैं. क्या मांग रहे थे? चांद नहीं मांग रहे थे, नौकरी मांग रहे थे और वो दो करोड़ वाला भी नहीं मांग रहे थे, कह रहे थे, बाकी वाला बचा हुआ दे दो, आपने लाठियां बरसाईं.’
उन्होंने कहा, ‘अगर राष्ट्रपति के अभिभाषण में इस तहर की चिंताएं नहीं हैं तो वह भाषण नहीं, कागज का पुलिंदा लगता है और उसे कागज का पुलिंदा कहना अच्छा नहीं लगता.’