
'पांच घंटे जिंदा दफन रहा...', शख्स ने बताया - मौत के मुंह से कैसे जिंदा बचा
AajTak
बर्फ के अंदर पांच घंटे तक दबे होने की वजह से एक शख्स मौत के कगार तक पहुंच गया था. उसकी सांस की नली और फेंफड़ों में बर्फ भर गया था. डॉक्टर उसे ब्रेन डेड घोषित कर चुके थे और वह लाइफ सपोर्ट पर था. फिर कुछ ऐसा हुआ कि जिससे उम्मीद की किरण दिखाई दी.
एक शख्स पांच घंटे तक कई फुट बर्फ के नीचे जिंदा दफन रहा. परिवार वाले जब उसे अस्पताल लेकर पहुंचे तो वो समझ चुके थे कि उसकी मृत्यु हो चुकी है. डॉक्टर ने भी ब्रेन डेड बता दिया था और लाइफ सपोर्ट हटाकर अंतिम संस्कार के लिए उसे परिवार वालों को सौंपने वाले थे. तभी कुछ ऐसा हुआ, जिसने उसने नई जिंदगी दी.
यह कहानी है 44 साल के एक शख्स मैट पोट्रैट्ज़ की. 27 साल के मैट अस्पताल के बिस्तर पर थे. उनके फैमिली मेंबर और दोस्त उनके बेड को चारों ओर से घेरे हुए थे. क्योंकि डॉक्टर ने सभी को लाइफ सपोर्ट मशीनें बंद करने के बारे में सोचने को कहा था. परिवार वालों के मुताबिक तो अस्पताल ले जाते समय ही मैट की मृत्यु हो चुकी थी. अस्पताल में जांच से पता चला कि मैट के मस्तिष्क में कोई गतिविधि नहीं थी. वह ब्रेन डेड हो चुके थे. उन्हें लाइफ सपोर्ट पर रखा गया था, जिसे अब हटाया जाता.
मौत के मुंह से ऐसे निकला शख्स मैट पोट्रैट्ज की ये कहानी संघर्ष से भरी हुई है. मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, मैट ऐसे शख्स हैं, जो पांच घंटे तक बर्फ के अंदर जिंदा दफन रहे. जब उन्होंने बाहर निकाला गया तो उनके परिवार वालों को लगा कि उनकी मृत्यु हो गई है. यह सच भी था, क्योंकि उनके शरीर में कोई हलचल नहीं थी और डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया था. 27 साल की उम्र में हुआ था हादसे का शिकार मैट ने बताया कि डॉक्टरों ने कहा कि मैं ब्रेन डेड हूं. मेरे पिता ने दूसरी राय मांगी. उन्होंने कहा कि अगर मैट मेरी जगह होता, तो वे इतनी जल्दी मुझे नहीं छोड़ता. यह कहानी तक की है, जब मैट 27 साल के थे. अब मैट की उम्र 44 वर्ष हो चुकी है.
मैट इडाहो में हुए एक हिमस्खलन में दब गए थे. जिसने उन्हें एक पहाड़ से नीचे गिरा दिया और एक पेड़ से टकराकर वह बुरी तरह से घायल हो गए थे. इस झटके से उनका हेलमेट फट गया और उनकी साँस की नली बर्फ से भर गई थी. पांच घंटे तक वह ऐसी हालत में बर्फ के अंदर दबे रहे.
डॉक्टर करने वाले थे मौत की घोषणा जब डॉक्टर उनकी मौत की आधिकारिक तौर पर पुष्टि करने की तैयारी कर रहे थे, तब मैट के परिवार और दोस्त उसके बिस्तर के चारों ओर इकट्ठा हो गए. सभी ने मिलकर मैट के शरीर पर हाथ रखा और ईश्वर से रो-रोकर दया की भीख मांगी.
मैट ने बताया कि परिवार वाले लगभग डेढ़ घंटे से वहां जमा थे. अब सभी लोग मेरी मौत की वास्तविकता को स्वीकार करने ही वाले थे, तभी मेरे एक अच्छे दोस्त ने कहा कि मुझे नहीं पता क्यों, लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है कि मैट को पता है कि हम यहां हैं. क्यों न हम देखें कि अगर हम उससे प्रतिक्रिया लेने की कोशिश करें तो क्या होता है?

Polar Loop price in India: भारतीय बाजार में Polar ने अपना स्क्रीनलेस फिटनेस ट्रैकर लॉन्च कर दिया है. ये डिवाइस Whoop Band जैसे फीचर्स के साथ आता है. जहां Whoop Band के लिए यूजर्स को हर साल सब्सक्रिप्शन खरीदना होता है. वहीं Polar Loop के साथ ऐसा कुछ नहीं है. इस बैंड को यूज करने के लिए किसी सब्सक्रिप्शन की जरूरत नहीं होगी.

इंडिगो एयरलाइन की उड़ानों पर मंडराता संकट शनिवार, 6 दिसंबर को भी खत्म नहीं हुआ और हालात लगातार पांचवें दिन बिगड़े रहे. देश के कई हिस्सों में बड़ी संख्या में फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ीं. बीते चार दिनों से जारी इस गड़बड़ी का सबसे बड़ा असर शुक्रवार को दिखा, जब 1,000 से ज्यादा उड़ानें रद्द हुईं, जबकि गुरुवार को करीब 550 फ्लाइट्स कैंसिल करनी पड़ी थीं.

भारत और यूरोप के वर्क कल्चर में फर्क को जर्मनी में काम कर रहे भारतीय इंजीनियर कौस्तव बनर्जी ने 'जमीन-आसमान का अंतर] बताया है. उनके मुताबिक, भारत में काम का मतलब अक्सर सिर्फ लगातार दबाव, लंबे घंटे और बिना रुके डिलीवरी से जुड़ा होता है, जबकि जर्मनी और यूरोप में काम के साथ-साथ इंसान की जिंदगी को भी बराबर अहमियत दी जाती है.

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन IndiGo का संचालन शनिवार को भी पटरी पर नहीं लौट सका. संकट अब पांचवें दिन में पहुंच गया है और दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु व चेन्नई एयरपोर्ट पर यात्री रातभर अपने उड़ानों का इंतजार करते नजर आए. पिछले चार दिनों में एयरलाइन को 2,000 से अधिक उड़ानें रद्द करनी पड़ी हैं, जिससे करीब तीन लाख से ज्यादा यात्रियों की यात्रा योजनाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.









