
नोटों की छपाई में हर साल खर्च होते हैं 4 हजार करोड़ रुपये, जानें छपाई से आपके हाथ तक कैसे आते हैं पैसे?
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नोटों की छपाई पर पिछले साल सरकार ने 4 हजार करोड़ रुपये का खर्च किया था. सरकार के मुताबिक, 2000 का एक नोट छापने पर 3 रुपये 53 पैसे का खर्च आता है. देश में 4 जगहों पर नोटों की छपाई होती है.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikant Das) ने नोटों की छपाई में आत्मनिर्भर बनने की बात कही है. उन्होंने दो दिन पहले मैसूर में RBI के मालिकाना हक वाली कंपनी वर्णिका (Varnika) का उद्घाटन किया था. ये कंपनी नोटों की छपाई में इस्तेमाल होने वाली स्याही बनाएगी. इस कंपनी में हर साल 1500 मीट्रिक टन स्याही बनेगी. इससे नोटों की छपाई में होने वाले खर्च में कमी आने की उम्मीद है. आरबीआई के मुताबिक, हर साल करीब साढ़े 4 हजार करोड़ रुपये नोटों की छपाई में ही खर्च हो जाता है.
कहां छपते हैं नोट? छापता कौन है?
- भारत में 4 जगहों पर नोटों की छपाई का काम होता है. नोटों की छपाई का काम दो कंपनियों के पास है. इनमें से एक कंपनी केंद्र सरकार और एक आरबीआई के अधीन है. इन कंपनियों की देश में 4 प्रेस हैं, जहां नोट छपते हैं.
- आरबीआई के मुताबिक, जो कंपनी केंद्र के अधीन है उसका नाम सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SPMCIL) और आरबीआई के अधीन वाली कंपनी का नाम भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (BRBNMPL) है.
- भारत में मध्य प्रदेश के देवास, महाराष्ट्र के नासिक, तमिलनाडु के मैसूर और पश्चिम बंगाल के सबलोनी में नोट छापने की प्रेस है. इन चारों जगहों पर नोट छपते हैं और यहीं से फिर पूरे देश में जाते हैं.
- नोटों की तरह ही सिक्के भी 4 जगहों पर ही बनाए जाते हैं. सिक्के बनाने का काम SPMCIL के पास है. ये सिक्के मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता और नोएडा में बनते हैं.

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