नकाबपोश हमलावर, जिस्म में 34 गोलियां, एक चश्मदीद और एक CCTV फुटेज... निज्जर की हत्या के वो सबूत जो कनाडा के पास हैं
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Nijjar Murder Case: भूपेंदर सिंह निज्जर की हत्या का पहला चश्मदीद था. वो निज्जर के ट्रक को पहचानता था. उसने ड्राइवर साइड से ट्रक का दरवाजा खोला, तो पाया कि निज्जर लहूलुहान ड्राइवर सीट पर लुढ़का हुआ है. उसने निज्जर के कंधे को झकझोरा. लेकिन तब तक निज्जर मर चुका था.
कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर का कत्ल हो जाने के बाद वहां की पुलिस को इस वारदात की इत्तिला दी गई थी. लेकिन बावजूद इसके रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस वहां देरी से पहुंची. इतना ही नहीं मौके पर पहुंचने के बाद रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस और सर्रे पुलिस के बीच अगले एक घंटे तक इस बात पर बहस होती रही कि आखिर इस कत्ल के मामले की जांच कौन करेगा? अमेरिका के प्रख्यात अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने निज्जर मर्डर केस को लेकर कई अहम खुलासे किए हैं. जिसने सभी को हैरान कर दिया है.
18 जून 2023, रात 8 बजकर 20 मिनट ठीक उसी वक्त ब्रिटिश कोलंबिया के सर्रे में गुरु नानक देव गुरुद्वारे का प्रेसिडेंट हरदीप सिंह निज्जर अपना काम खत्म करने के बाद गुरुद्वारे की पार्किंग में खड़े ट्रक में बैठता है. इस ट्रक के बराबर में पहले से ही एक सिल्वर कलर की एक सिडान खड़ी थी. निज्जर जैसे ही ट्रक स्टार्ट करता है, सिडान तेजी से ट्रक के ठीक आगे आकर ट्रक का रास्ता रोक लेती है. इससे पहले कि निज्जर कुछ समझ पाता, तभी ट्रक के दांये और बांये से पार्किंग में पहले से मौजूद दो शख्स तेजी से ट्रक की तरफ बढते हैं और बिल्कुल करीब से डाइवर सीट पर बैठे शख्स पर अंधाधुंध गोलियां चलाना शुरू कर देते हैं. दोनों निज्जर पर कुल 90 राउंड फायरिंग करते हैं. जिनमें से 34 गोलियां निज्जर को लगती हैं.
निज्जर को लगी थीं 34 गोलियां गोली मारने के बाद दोनों हमलावर तेजी से पैदल ही गेट की तरफ भागते हैं. अब तक सिल्वर कलर की सिडान कार भी गेट से बाहर निकल चुकी थी. दोनों हमलावर बाहर निकल कर उसी सिडान कार में बैठ जाते हैं, जिनमें पहले से ही तीन और लोग बैठे हुए थे. जिस वक्त ये गोलीबारी हो रही थी, उस वक्त निज्जर के ट्रक से मुश्किल से लगभग सौ मीटर की दूरी पर इसी गुरुद्वारे का एक सेवक भूपेंदर सिंह फुटबॉल खेल रहा था. पहले उसे लगा कि शायद कोई पटाखा छोड़ रहा है. लेकिन फिर उसे अहसास हुआ कि ये गोली की आवाज है. भूपेंदर सिंह निज्जर की हत्या का पहला चश्मदीद था. वो निज्जर के ट्रक को पहचानता था. उसने ड्राइवर साइड से ट्रक का दरवाजा खोला, तो पाया कि निज्जर लहूलुहान ड्राइवर सीट पर लुढ़का हुआ है. उसने निज्जर के कंधे को झकझोरा. लेकिन तब तक निज्जर मर चुका था.
चश्मदीद के सामने भाग निकले हमलावर गुरुद्वारा कमेटी का एक और सदस्य मलकीत सिंह भी उस वक्त उसी गुरुद्वारा कैंपस में फुटबॉल खेल रहा था. गोली की आवाज सुन कर भूपेंदर की तरह वो भी पार्किंग में पहुंचा. उसने देखा कि दो लोग जिन्होंने हुडी पहन रखी थी और चेहरे पर मास्क था, वो पार्क की गेट की तरफ दौड़ रहे हैं. दोनों की वेशभूषा सिख वाली थी. मलकीत ने देखा कि दोनों के हाथों में पिस्टल हैं और वो तेजी से बाहर सड़क पर निकल कर वहां खड़ी सिल्वर कलर की एक सिडान कार में बैठ जाते हैं. मलकीत के मुताबिक एक हमलावर कार में बैठने से पहले बाकायदा पिस्टल का मुंह उसकी तरफ कर उसे एक तरह से पीछा ना करने की धमकी देता है. इसके बाद कार वहां से भाग जाती है.
कत्ल के बाद मौके पर पहुंची RCMP और सर्रे पुलिस अब तक इलाके में ख़बर फैल चुकी थी कि किसी ने निज्जर पर जानलेवा हमला किया है. गुरुद्वारे का केयर टेकर चरणजीत सिंह भी अब मौके पर था. अब वही ट्रक में निज्जर की बॉडी के साथ बैठा था. रात के ठीक 8 बजकर 27 मिनट हुए थे. ठीक इसी वक्त रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस को पहली बार फोन पर निज्जर पर हुए हमले की जानकारी दी गई. चश्मदीदों के मुताबिक फोन पर खबर दिए जाने के 12 से 20 मिनट के बाद पहली बार आरसीएमपी यानी रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस की टीम मौका-ए-वारदात पर पहुंची. इसके कुछ देर बाद लोकल सर्रे पुलिस भी मौके पर पहुंच गई थी.
जांच को लेकर बहस चश्मदीद भूपेंदरजीत सिंह के मुताबिक वो तब हैरान रह गया, जब उसने देखा कि मौके पर पहुंचने के बावजूद जांच करने की बजाय रॉयल कैनेडियन पुलिस और सर्रे पुलिस अगले एक घंटे तक इसी बात पर बहस करती रही कि इलाके के हिसाब से ये केस किसका है? और कौन इसकी जांच करेगा? घंटे भर की लड़ाई के बाद किसी सीनियर अफसर के बीच में आने के बाद ये तय हुआ कि मामले की जांच रॉयल कैनेडियन पुलिस करेगी.
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