
'धर्म को ढाल बनाकर भीड़ को उकसाने की कोशिश...', ढाका यूनिवर्सिटी के छात्रों का यूनुस सरकार को अल्टीमेटम
AajTak
बांग्लादेश के छात्र नेता उस्मान हादी की 18 दिसंबर को मौत हो गई थी. इसके तुरंत बाद भीड़ सड़कों पर उतरी और बांग्लादेश के सबसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों को निशाना बनाया.
पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश इस समय भारी राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रहा है. अगस्त 2024 में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से वहां हालात लगातार उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं. छात्र नेता उस्मान हादी की हत्या और हिंदू युवक की लिंचिंग से हालात बदतर हो चुके हैं. इस बीच ढाका यूनिवर्सिटी के छात्र दल ने देशभर में आज विरोध मार्च निकाला.
ढाका यूनिवर्सिटी के छात्र दल जेसीडी ने देशभर में जारी भीड़ हिंसा और हत्याों के खिलाफ न्याय की मांग करते हुए विरोध मार्च निकाला. यह जुलूस रविवार सुबह यूनिवर्सिटी के टीचर स्टूडेंट सेंटर क्षेत्र से शुरू हुआ. छात्रों ने कहा कि धर्म को ढाल बनाकर भीड़ को भड़काने की कोशिशें अब बांग्लादेश की संप्रभुता के लिए गंभीर खतरा बन चुकी हैं।
इस बीच जेसीडी प्रमुख राकिब ने कहा कि पांच अगस्त के बाद के हालात में एक खास समूह धर्म का दुरुपयोग कर रहा है और ‘बॉट आर्मी’ के जरिए भीड़ आतंक और व्यापक हिंसा को उकसा रहा है. उन्होंने चेतावनी दी कि जेसीडी उन तत्वों का सख्ती से मुकाबला करेगी, जो विदेश से ऑनलाइन नफरत और भ्रामक सूचनाएं फैलाकर इस तरह की अराजकता पैदा कर रहे हैं.
जेसीडी नेतृत्व ने कहा कि देशभर में मॉब कल्चर के नाम पर फैलाई जा रही अराजकता के खिलाफ खड़ा होना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है. छात्र संगठन ने इन घटनाओं की निष्पक्ष और गहन जांच की मांग करते हुए दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की अपील की.
बता दें कि ये विरोध प्रदर्शन खासतौर पर हाल की दो घटनाओं के विरोध में था. एक घटना 18 दिसंबर को बांग्लादेश के मयमनसिंह के भालुका में हुई, जहां भीड़ ने मजदूर दीपू चंद्र दास को पीट-पीटकर मार डाला. दूसरी घटना 19 दिसंबर को लक्ष्मीपुर की है, जहां बीएनपी नेता बेलाल हुसैन के घर पर आगजनी की गई, जिसमें उनकी सात साल की बेटी आइशा की मौत हो गई.
इससे पहले इंकलाब मंच से जुड़े हादी के सहयोगी अब्दुल्ल अल जबेर ने भी यूनुस सरकार को अल्टीमेटम दिया था कि सरकार अगले 24 घंटे में सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट करे कि हादी की हत्या के जिम्मेदार लोग कौन हैं और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं.

अमेरिकी सेना ने शुक्रवार रात सीरिया में इस्लामिक स्टेट के ठिकानों पर बड़े पैमाने पर बमबारी की है. अमेरिकी रक्षा मंत्री ने बताया कि ऑपरेशन हॉकाई स्ट्राइक का मकसद आईएस के लड़ाकुओं, उनके ढांचे और हथियार ठिकानों को नष्ट करना था. अमेरिका के मुताबिक इस हमले में जॉर्डन के विमान भी शामिल थे. देखें यूएस टॉप-10.

बांगलादेश में अल्पसंख्यक समुदाय खासतौर पर हिंदुओं के प्रति नफरत का स्तर बढ़ता जा रहा है. देश में भारत विरोधी नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या ने हालात और ज्यादा तनावपूर्ण बना दिया है. इस घटना के बाद बांगलादेश में अराजकता और संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई है. समाज में बढ़ती अस्थिरता और हिंसा अल्पसंख्यकों के जीवन को प्रभावित कर रही है. यह स्थिति देश के सामाजिक और राजनीतिक माहौल के लिए चिंताजनक है. इस समस्या को समझना और प्रभावी समाधान ढूंढना जरूरी है ताकि शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व बनाए रखा जा सके.

सीरिया में ISIS के खिलाफ अमेरिका ने बड़ा सैन्य अभियान चलाया. अमेरिकी सैनिकों की हत्या पर बदले की कार्रवाई में ISIS के कई ठिकानों को निशाना बनाया गया. मध्य सीरिया में जॉर्डन के लड़ाकू विमानों ने भी हमले में हिस्सा लिया. पिछले सप्ताहांत अमेरिकी सैनिकों की हत्या का बदला लेने की ट्रंप ने कसम खाई थी. देखें दुनिया आजतक.

उस्मान हादी की मौत को लेकर बांग्लादेश के पूर्व मंत्री मोहिबुल हसन चौधरी ने दावा करते हुए कहा कि हादी को उसके ही किसी करीबी ने गोली मारी थी. गोली मारने वाला हादी के ही हथियारबंद गैंग का सदस्य है. शेख हसीना की सरकार में मंत्री रह चुके मोहिबुल हसन चौधरी ने दावा किया कि इस हिंसा के पीछे यूनुस सरकार के दो बड़े मकसद हैं. एक वो 12 फरवरी को होने वाले चुनाव को टालना चाहती है और दूसरा ये कि वो शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग के कार्यकर्ताओं को खत्म करना चाहती है.

बांग्लादेश के मयमनसिंह जिले में ईशनिंदा के आरोप में एक हिंदू युवक को उग्र भीड़ ने बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला. मौत के बाद उसके निर्वस्त्र शव को सड़क पर घसीटा गया, हाइवे जाम किया गया और फिर शव को आग के हवाले कर दिया गया. इस घटना ने मानवता, कानून-व्यवस्था और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं. इस केस में अब 7 आरोपी अरेस्ट हुए हैं.

बांग्लादेश में स्वतंत्र पत्रकारिता के इतिहास का एक काला अध्याय उस वक्त जुड़ गया, जब राजधानी ढाका में देश के दो सबसे बड़े अखबारों अंग्रेजी 'द डेली स्टार' और बांग्ला दैनिक 'प्रोथोम आलो' के दफ्तरों पर भीड़ ने हमला कर दिया. आगजनी, तोड़फोड़, लूटपाट और पत्रकारों को घंटों तक बंधक जैसी स्थिति में रखने वाली इस हिंसा ने ना सिर्फ मीडिया की सुरक्षा बल्कि अभिव्यक्ति की आजादी पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.







