द्रौपदी मुर्मू से पहले भी देश को मिल सकता था आदिवासी राष्ट्रपति, जानिए वो किस्सा
AajTak
द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति बन गई हैं. वे पहली आदिवासी समुदाय से आईं राष्ट्रपति हैं, ऐसे में ये पल और ज्यादा खास बन गया है. लेकिन 10 साल पहले भी देश को वो मौका मिला था. शायद 10 साल पहले ही देश एक आदिवासी राष्ट्रपति को चुन लेता.
द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति बन गई हैं. उनका राष्ट्रपति बनना अपने आप में ऐतिहासिक है, वे पहली आदिवासी समुदाय से आईं महिला राष्ट्रपति हैं. जिस बड़े अंतर से उन्होंने ये जीत दर्ज की है, इससे ये मुकाम और ज्यादा खास बन जाता है. लेकिन ये बात कम ही लोग जानते हैं कि द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से 10 साल पहले भी भारत के पास एक मौका आया था. वो मौका था एक आदिवासी राष्ट्रपति चुनने का.
ये बात 2012 राष्ट्रपति चुनाव की है. केंद्र में यूपीए की सरकार थी और प्रधानमंत्री थे डॉक्टर मनमोहन सिंह. उस समय कांग्रेस ने राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में प्रणब मुखर्जी को उतारा था. पार्टी को पूरी उम्मीद थी कि विपक्ष कोई उम्मीदवार नहीं उतारेगा और प्रणब बिना किसी अड़चन के रायसेना तक पहुंच जाएंगे. लेकिन उस समय जैसा देश की राजनीति का मिजाज था, कांग्रेस की हां में हां मिलना किसी के लिए संभव नहीं था. ऐसे में तब विपक्ष ने अपनी तरफ से पीए संगमा को राष्ट्रपति उम्मीदवार बना दिया था. 2022 में जो आदिवासी दांव बीजेपी ने द्रौपदी मुर्मू को खड़ा कर चला, कुछ ऐसा ही काम 2012 में विपक्ष ने भी किया था.
असल में पीए संगमा आदिवासी समुदाय से आते थे. पूर्णो अगितोक संगमा का जन्म 1 सितम्बर, 1947 को पूर्वोत्तर भारत में मेघालय राज्य के रमणीक पश्चिमी गारो हिल जिले के चपाहटी गांव में हुआ था. मेघालय के एक छोटे से आदिवासी गांव से जीवन की साधारण शुरुआत करके, पीए संगमा अपनी योग्यता, दृढ़निश्चय और मेहनत के बल पर लोक सभा के अध्यक्ष के प्रतिष्ठित पद तक पहुंचे. संगमा बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. राजनीति में आने से पहले उन्होंने प्राध्यापक, अधिवक्ता और पत्रकार के रूप में भी कार्य किया था. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन का आरंभ कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में किया और वह पार्टी के पदों पर तेजी से आगे बढ़ते गए.
लेकिन फिर वर्ष 1999 में कांग्रेस से निष्कासित होने के बाद शरद पवार और तारिक अनवर के साथ मिलकर पी.ए. संगमा ने नेशनल कांग्रेस पार्टी की स्थापना की. शरद पवार के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी से नजदीकी बढ़ जाने के कारण पी.ए. संगमा ने अपनी पार्टी का ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस पार्टी में विलय कर नेशनलिस्ट तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की. फिर 2006 में नेशनल कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधि के तौर पर वे संसद पहुंचे थे. अब क्योंकि उन्होंने कई विचारधारों के साथ मिलकर राजनीति की थी, ऐसे में उनका व्यक्तित्व भी वैसा ही बन गया था. इसी वजह से 2012 के राष्ट्रपति चुनाव में उन्हें विपक्ष ने अपना उम्मीदवार बनाया था.
लेकिन जैसे इस बार द्रौपदी मुर्मू के लिए एकतरफा जीत रही, कुछ ऐसा ही नजारा 2012 में भी देखने को मिल गया था. उस राष्ट्रपति चुनाव में प्रणब मुखर्जी को 7 लाख 13 हजार 763 मत प्राप्त हुए थे. वहीं पीए संगमा को 3,15,987 वोट से ही संतोष करना पड़ गया. इसी वजह से 10 साल पहले देश को आदिवासी राष्ट्रपति नहीं मिल पाया.
पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आखिरकार माना है कारगिल युद्ध पाकिस्तान की गलती का नतीजा था. मसलन, उन्होंने स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने 1999 के लाहौर समझौते का उल्लंघन किया था. तब आर्मी चीफ रहे परवेज मुशर्रफ ने गुप्त रूप से अपनी सेना कारगिल में भेजी थी, जिसकी वजह से भारत-पाकिस्तान के बीच बड़े पैमाने पर युद्ध छिड़ गया था.
डीसीपी (महिलाओं के खिलाफ अपराध) वीरेंद्र विज ने बताया कि शिक्षक संजू वर्मा ने लड़की को पहले इंस्टाग्राम पर फॉलो करने के अनुरोध को स्वीकार करने के लिए मजबूर किया. इसके बाद आरोपी शिक्षक ने ऐप पर उसे "अश्लील" मैसेज भेजने शुरू कर दिए. मामले की जानकारी मिलने के बाद पीड़िता के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी.
राजकोट के टीआरपी गेमजोन में लगी आग से 28 लोगों की जलकर मौत हो गई थी. मृतकों के शव इतनी बुरी तरह से जल गए थे कि उनकी पहचान तक मुश्किल थी. ऐसे में गेमजोन के एक मालिक की जलकर मौत होने का दावा किया गया था. इसके लिए मिले अवशेषों के डीएनए सैंपल का मिलान गेम जोन के मालिकों की मां से किया गया. इसमें से एक सैंपल मैच हुआ है. इससे यह पुष्टि की गई कि मालिक प्रकाश हिरन की भी जलकर मौत हो गई थी.
हिट एंड रन की ये घटना 19 मई की है. पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 साल आठ महीने के बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई थी. इस घटना के 14 घंटे बाद नाबालिग आरोपी को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी. हालांकि बाद में आरोपी को फिर से कस्टडी में लेकर जुवेनाइल सेंटर भेज दिया गया.
एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना आइजोल शहर के दक्षिणी बाहरी इलाके में मेल्थम और ह्लिमेन के बीच के इलाके में सुबह करीब छह बजे हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि भूस्खलन के प्रभाव के कारण कई घर और श्रमिक शिविर ढह गए, जिसके मलबे के नीचे कम से कम 21 लोग दब गए. अब तक 13 शव बरामद किए जा चुके हैं और आठ लोग अभी भी लापता हैं.