
दो महिलाओं को AIIMS डॉक्टर ने बिना डोनर की परमिशन IVF Egg दिए, NMC ने चेताया
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एम्स दिल्ली के स्त्रीरोग विभाग के एक डॉक्टर ने 6 साल पहले एक महिला के अंडाणुओं यानी एग्स को बिना उसकी सहमति के दो अन्य महिलाओं को दे दिया था. अब नेशनल मेडिकल कमिशन ने उस डॉक्टर को महज चेतवनी देकर छोड़ दिया है.
एम्स, दिल्ली के स्त्री रोग विभाग के एक डॉक्टर ने 6 साल पहले आईवीएफ केंद्र में एक महिला के अंडाणु (एग्स) उसकी सहमति के बगैर दो अन्य महिला मरीजों के आईवीएफ के लिए इस्तेमाल कर दिए. घटना के लगभग छह साल बाद राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने डॉक्टर को चेतावनी के साथ छोड़ दिया है.
18 जुलाई को चेतावनी जारी करते हुए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने कहा कि डॉक्टर ने प्रजनन चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया है. आदेश में कहा गया है, 'डॉक्टर ने मेडिसिन के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम किया है. उनका मकसद गरीब मरीज को मदद करना था. उन्हें कोई व्यक्तिगत कोई फायदा नहीं था, लेकिन इस बात से इनकार नहीं कि जा सकता है आईसीएमआर के नियमों का उल्लंघन हुआ है.'
डॉक्टर ने की थी अपील
पिछले साल सितंबर में दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) द्वारा एक महीने के लिए उसका लाइसेंस निलंबित करने का आदेश दिए जाने के बाद डॉक्टर ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग में अपील की थी. 2017 में डीएमसी को प्राप्त शिकायत के अनुसार, आईवीएफ प्रक्रिया के लिए उस वर्ष 12 अगस्त को डॉक्टर ने मरीज से 30 एग प्राप्त किए गए थे. डीएमसी के सचिव डॉ. गिरीश त्यागी ने कहा, इनमें से 14 एग डॉक्टर ने embryologist से लिए थे और उन्हें महिला की सहमति के बिना दो मरीजों को दे दिया था.
डीएमसी की एक अनुशासनात्मक समिति ने शिकायत की जांच की. इसके बाद, डीएमसी ने पाया कि 'जबतक दाता की कोई लिखित सहमति नहीं होती है तब तक किसी मरीज के एग/ओसाइट्स को साझा करना न केवल अवैध है, बल्कि अनैतिक भी है क्योंकि आईसीएमआर दिशानिर्देशों के अनुसार इस तरह की प्रकृति को साझा करना/दान करना प्रतिबंधित है.'
एम्स की रिपोर्ट में उजागर हुई गलती

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