देश में आरटीआई कार्यकर्ताओं पर बढ़ रहे हमलों के बीच जवाबदेही क़ानूनों की ज़रूरत है
The Wire
21 दिसंबर को किसान और आरटीआई कार्यकर्ता अमराराम गोदारा का बाड़मेर से अपहरण किया गया और बेरहमी से पीटने के बाद लगभग मरणासन्न हालत में उनके घर के पास फेंक दिया गया. लगातार आरटीआई एवं अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर बढ़ते हमले जवाबदेही क़ानून की ज़रूरत को रेखांकित करते हैं.
नई दिल्लीः सूचना का अधिकार (आरटीआई) लंबे समय में देश में भ्रष्ट यथास्थिति को उजागर करने का एक जरिया बना हुआ है. ऐसी ही एक घटना हाल ही में राजस्थान में हुई.
किसान और आरटीआई कार्यकर्ता अमराराम गोदारा का बाड़मेर से 21 दिसंबर को सफेद रंग की स्कॉर्पियो में अपहरण कर लिया गया था. उन्हें बेरहमी से पीटा गया और लगभग मरणासन्न अवस्था में उनके घर के पास फेंक दिया गया.
उन्हें कई चोटें आई थीं. उनका हाथ टूटा हुआ था. उनके पैरों में कीले ठोंक दी गई थी और उन्हें जबरन पेशाब पीने को मजबूर किया गया था.
दरअसल गोदारा ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), रेन वाटर हार्वेस्टिंग टैंक का निर्माण करने वाले मजदूरों को कम भुगतान करने, पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के तहत आवास का मनमाने तरीके से आवंटन और गांव में शराब के अवैध धंधे से संबंधित कई सवाल कुम्पलिया ग्राम पंचायत से पूछे थे.