दुनिया का सबसे न्यूट्रल देश... दो मुल्कों के झगड़े से क्यों दूर रहा है स्विटजरलैंड? ऐसा क्या हुआ था
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रूस-यूक्रेन जंग में कुछ मुल्क खुलकर तो कुछ छिपकर किसी न किसी पक्ष को सपोर्ट कर रहे हैं. वहीं स्विटरजरलैंड तटस्थ बना हुआ है. ये पहला युद्ध नहीं, जब स्विस सरकार ने न्यूट्रल रहना चुना. कई सौ सालों से ये देश इसी तरह रह रहा है. ये बात अलग है कि कई देशों की शांति-वार्ता स्विट्जरलैंड के जिनेवा में हुई.
स्विट्जरलैंड केवल अपनी वादियों और चॉकलेट्स के लिए ही मशहूर नहीं, उसकी विदेश नीति भी उसे दुनिया का सबसे अलग देश बनाती है. फॉरेन पॉलिसी के तहत ये देश दुनिया में किसी भी देश के अंदरूनी या आपसी झगड़े-फसाद में शामिल नहीं होता है. वो किसी का पक्ष नहीं लेता, फिर चाहे लड़ाई में फंसा देश उसका पड़ोसी या दोस्त देश क्यों न हो. विश्व युद्ध के दौरान भी स्विस मुल्क ने अपनी सेना को तैयार रखा. रिफ्यूजियों की मदद भी की, लेकिन युद्ध का हिस्सा नहीं बना.
सैलानियों के लिए खूब उदार हैं स्विस लोग यूरोपियन देश स्विट्जरलैंड लोकतांत्रिक देश है, जहां की सीमाएं पोरस हैं, यानी यहां आना-जाना कई दूसरे देशों की तरह मुश्किल नहीं. अगर लोग यात्रा प्लान करते हैं तो यहां का वीजा आसानी से मिल पाता है, खासकर छोटी ट्रिप प्लान कर रहे हों. इसकी एक वजह ये भी है, यहां की इकनॉमी टूरिस्ट फ्रैंडली है. राजस्व का बड़ा हिस्सा सैलानियों के जरिए भी आता है. भाषा के मामले में भी यहां खुलापन है. यहां के बड़े शहरों में जर्मन, इतालवी, फ्रेंच और रोमन भाषाएं बोली जाती हैं. अंग्रेजी भी यहां बोली जाती है, खासकर फॉरेन स्टूडेंट्स और कामकाजी लोगों के बीच यही प्रचलित भाषा रही. लेकिन सवाल ये है कि कई देशों के मेलजोल की झलक वाले इस देश में न्यूट्रल होने की नीति क्यों रही.
इतिहास में छिपी है तटस्थता की वजह अतीत में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिनका असर यहां की फॉरेन पॉलिसी पर पड़ा. धीरे-धीरे कई युद्ध होते गए, जिनके बाद हुए नुकसान के बाद स्विस देश तटस्थता की तरफ बढ़ता गया. पहली ऐसी बड़ी घटना साल 1515 में हुई. इस समय फ्रांस से मिली हार के बाद स्विस शासन से एक ट्रीटी पर दस्तखत किए, जिसमें उसने वादा किया कि कभी भी फ्रेंच शासन के खिलाफ हथियार नहीं उठाएगा. साल 1648 में पीस ऑफ वेस्टफेलिया नाम का करार हुआ, इस दौरान कई देश आजाद हुए. इससे पहले स्विट्जरलैंड भी होली रोमन एंपायर का हिस्सा था, तो करार के तहत उसकी सीमाएं भी आजाद हो गईं.
वियना में ऐलान किया पॉलिसी का बीते सालों में कई हारों का सामना करने के बाद ये धीरे-धीरे न्यूट्रल होने की तरफ बढ़ने लगा. लेकिन तब भी इसका आधिकारिक फैसला नहीं हुआ था. साल 1815 में ऑस्ट्रिया के वियना में एक सम्मेलन हुआ, जिसमें बहुत से देश शामिल हुए. इसी दौरान ट्रीटी ऑफ पेरिस पर साइन हुए, जिसमें स्विस देश ने दुनिया के हर देश के युद्ध के लिए खुद को ऑफिशियली न्यूट्रल घोषित किया. इसी बात को यहां के संविधान की आत्मा माना गया.
क्या है न्यूट्रल होने का मतलब? तटस्थता की नीति के तहत, स्विट्जरलैंड दो देशों के बीच लड़ाई में किसी तरह का सैन्य सहयोग नहीं करेगा. वो न तो अपने सैनिक देगा, न इस खास मकसद से हथियार ही सप्लाई करेगा. यहां तक कि अगर दो पड़ोसी देशों के बीच जंग छिड़ी हो और एक देश की आर्मी किसी भी तरह स्विस सीमा का इस्तेमाल करना चाहे तो उसकी मनाही है. हालांकि इसका मतलब ये नहीं कि स्विटरजरलैंड अपनी रक्षा भी नहीं करेगा.
अपनी आर्मी भी है यहां यहां पर स्विस आर्म्ड फोर्स है, जिसमें साल 2017 में लगभग डेढ़ लाख सैनिक एक्टिव ड्यूटी पर थे. एक्टिव ड्यूटी का मतलब है, वे स्थाई तौर पर सेना के लिए ही काम कर रहे हैं. अस्थाई सेना भी होती है, जो अशांतिकाल में काम आती है. बता दें कि तमाम तटस्थता के बाद भी इस देश में पुरुषों को सैन्य ट्रेनिंग और सेवा देना अनिवार्य है, अगर वे मानसिक या शारीरिक तौर पर किसी तरह की विकलांगता न झेल रहे हों तो. महिलाएं चाहें तो सेना की ट्रेनिंग और सर्विस का हिस्सा बन सकती हैं, ये ऑप्शनल है. इस पॉलिसी को सशस्त्र तटस्थता कहते हैं. आसान भाषा में समझें तो ये उस शख्स की तरह है, जो हथियार तो रखता है लेकिन आत्मरक्षा के लिए.
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