
दिल्ली-NCR का पॉल्यूशन 'लॉक' क्यों हो जाता है? हिमालय-अरावली से जानिए कनेक्शन
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दिल्ली-एनसीआर का छोटा इलाका हिमालय और अरावली की वजह से प्रदूषण का कटोरा बन जाता है. सर्दियों में तापमान का उलटना हवा को ढक देता है, जिससे PM2.5 100-300 माइक्रोग्राम/घन मीटर तक पहुंच जाता है. कम हवा, कोहरा और पराली धुआं इसे गैस चैंबर बनाते हैं. अध्ययनों से पता चलता है कि मौसम और भूगोल 30-50% जिम्मेदार हैं.
दिल्ली-एनसीआर की हवा अक्सर इतनी जहरीली हो जाती है कि इसे गैस चैंबर कहा जाने लगा है. सर्दियों में तो सांस लेना मुश्किल हो जाता है. लेकिन ऐसा क्यों होता है? क्या सिर्फ गाड़ियां और फैक्ट्रियां जिम्मेदार हैं? नहीं, बल्कि प्रकृति की कुछ खास परिस्थितियां प्रदूषण को यहां लॉक कर देती हैं. आइए समझते हैं कि कैसे दिल्ली का यह छोटा-सा इलाका कैसे प्रदूषण का जेल बन जाता है?
दिल्ली-NCR इंडो-गंगा मैदान में बसी है, जो हिमालय की तलहटी में एक सपाट इलाका है. उत्तर में हिमालय की ऊंची चोटियां, दक्षिण में अरावली पहाड़ियां और पूर्व में यमुना नदी – ये सब मिलकर दिल्ली को एक कटोरे जैसी शक्ल देते हैं. यह कटोरा प्रदूषण को फंसाने का काम करता है.
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कैसे? हवा में उड़ने वाले कण (जैसे धूल या धुआं) आसपास के इलाकों से आते हैं, लेकिन पहाड़ियां उन्हें बाहर नहीं जाने देतीं. उदाहरण के लिए, पंजाब-हरियाणा से जलने वाली पराली का धुआं सीधे दिल्ली पहुंच जाता है, लेकिन हिमालय उसे उत्तर की ओर नहीं जाने देते. नतीजा? प्रदूषण इकट्ठा होता जाता है.
तथ्य: एक अध्ययन के मुताबिक, दिल्ली की यह भौगोलिक स्थिति प्रदूषण को 30-50% तक बढ़ा देती है, भले ही दिल्ली में कोई उत्सर्जन न हो. यह कटोरा सर्दियों में और खतरनाक हो जाता है, जब हवा की गति कम हो जाती है.

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