
दिल्ली में साइबर ठगी का नया तरीका: बिना OTP और लिंक के खातों से उड़ाए 1 लाख 8 हजार रुपये
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दिल्ली में बिना ओटीपी या लिंक के एक मीडियाकर्मी के दो बैंक खातों से एक लाख आठ हजार रुपये निकाल लिए गए. इस मामले ने पुलिस की नींद उड़ा दी है. पढ़िए कैसे साइबर अपराधियों ने इस नई चाल से वारदात को अंजाम दिया.
राजधानी दिल्ली में एक चौंकाने वाला साइबर फ्रॉड सामने आया है, जिसने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. इस ठगी में न तो पीड़ित से ओटीपी मांगा गया और न ही कोई लिंक या ऐप डाउनलोड कराया गया, लेकिन फिर भी पीड़ित के बैंक खातों से एक लाख आठ हजार रुपये गायब हो गए. यह मामला एक मीडियाकर्मी के साथ हुआ, जो अब पुलिस से इंसाफ की गुहार लगा रहा है.
ओटीपी या लिंक के बिना ही खाते साफ इस साइबर ठगी का तरीका बेहद चालाकी भरा है. पीड़ित के मुताबिक, उसने न तो कोई ऐप डाउनलोड किया, न कोई लिंक क्लिक किया और न ही ओटीपी साझा किया. इसके बावजूद, उसके दो अलग-अलग बैंक खातों से बड़ी रकम UPI ट्रांजेक्शन के जरिए निकाल ली गई. लेकिन संबंधित बैंक ने अपनी जिम्मेदारी लेने से साफ इनकार कर दिया है.
दो बैंक खातों से निकले पैसे 40 साल के पीड़ित अमोल सिंह एक प्रख्यात मीडिया कंपनी में काम करते हैं. मंगलवार सुबह सोकर उठते ही उनके मोबाइल पर एक मैसेज आया कि आईसीआईसीआई बैंक खाते से 50 हजार रुपये डेबिट हो गए हैं. हैरान अमोल ने तुरंत अकाउंट चेक किया, लेकिन इससे पहले ही उन्हें दूसरा मैसेज मिला कि 45 हजार रुपये और निकल गए हैं.
कई ट्रांजेक्शन के ज़रिए निकाली गई रकम पहले दो बड़े ट्रांजेक्शन के बाद भी ठग नहीं रुके. अमोल के खाते से एक बार 2 हजार और अगली बार 1 हजार रुपये और निकाल लिए गए. यहीं नहीं, उनके एचडीएफसी बैंक के दूसरे खाते से भी 10 हजार रुपये डेबिट कर लिए गए. कुल मिलाकर, पांच ट्रांजेक्शन में 1 लाख 8 हजार रुपये ठग लिए गए.
सुरक्षित मोबाइल और ATM के बावजूद ठगी अमोल का कहना है कि उनका मोबाइल हमेशा उनके पास रहता है और एटीएम कार्ड भी वही इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने किसी भी संदिग्ध वेबसाइट, लिंक या ऐप से लेन-देन नहीं किया. इसके बावजूद, उनके दोनों खातों से इतनी बड़ी रकम कैसे निकल गई, यह उनके लिए रहस्य बना हुआ है.
बैंक ने नहीं ली जिम्मेदारी! अमोल ने तुरंत अपने बैंक से संपर्क कर खातों को ब्लॉक कराया. लेकिन आईसीआईसीआई और एचडीएफसी दोनों ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया. बैंक का कहना है कि यह मामला उनके दायरे में नहीं आता और पीड़ित को साइबर क्राइम सेल से संपर्क करना चाहिए.

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