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तेलंगाना में संविधान की प्रस्तावना बदली? किताब से सेक्युलर और सोशलिस्ट शब्द हटने पर SCERT ने दिया ये जवाब
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भारतीय सविंधान की प्रस्तावना में सेक्युलर और सोशलिस्ट शब्दों को 18 दिसंबर 1976 में 42वें संवैधानिक संशोधन द्वारा शामिल गया था. तेलंगाना राज्य यूनाइटेड टीचर्स फेडरेशन (TSUTF) ने कक्षा 10 की सोशल साइंस की किताब के कवर पेज पर संविधान की प्रस्तावना के गलत प्रकाशन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
तेलंगाना में भारतीय संविधान की मूल धारणा से छेड़छाड़ का मामला समाने आया है. स्टेट एजुकेशन बोर्ड की किताबों में भारत के संविधान की प्रस्तावना से सेक्युलर और सोशलिस्ट शब्दों को हटा दिया गया है. इन शब्दों (Socialist' और Secular) को 10वीं क्लास की किताब से हटाने पर नया विवाद खड़ा हो गया है. तेलंगाना राज्य यूनाइटेड टीचर्स फेडरेशन (TSUTF) ने कक्षा 10 की सोशल साइंस की किताब के कवर पेज पर संविधान की प्रस्तावना के गलत प्रकाशन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
किताब में भारतीय संविधान से हटे समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द टीएसयूटीएफ के महासचिव चावा रवि ने कहा, "स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग, तेलंगाना (SCERT) द्वारा 2022-23 एकेडमिक ईयर के लिए प्रकाशित कक्षा 10 की सामाजिक विज्ञान किताबों (तेलुगु और अंग्रेजी माध्यम) के कवर पेज पर प्रिंटिड संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द गायब हैं." इन दो शब्दों को 18 दिसंबर 1976 को 42वें संवैधानिक संशोधन द्वारा संविधान की प्रस्तावना में डाला गया था. भारत के संविधान की प्रस्तावना जब तैयार की गई तो शुरुआत में इसमें सेक्युलर शब्द नहीं था. इसके बाद 1976 से 10वीं और 8वीं की सामाजिक विज्ञान की किताब में सेक्युलर और सोशलिस्ट शब्दों के साथ वर्तमान संविधान की प्रस्तावना प्रिंट की जाती है.
TSUTF ने की सख्त कार्रवाई की मांग टीएसयूटीएफ ने आगे कहा, "चाहे यह जानबूझकर किया गया हो या गलती से, यह एक बड़ी गलती है. इसलिए, हम मांग करते हैं कि कक्षा 10 की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों के कवर पेज पर संविधान की प्रस्तावना को गलत तरीके से प्रकाशित करने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ जांच की जाए और सख्त कार्रवाई की जाए. हम सरकार से पाठ्य पुस्तकों को संशोधित प्रस्तावना के साथ दोबारा छापने की भी मांग करते हैं."
किताब से शब्द हटने पर SCERT ने बताई ये वजह वहीं एससीईआरटी का इस पूरे मामले पर कहना है कि उसने संविधान की प्रस्तावना से ऐसे किसी शब्द को हटाने के बारे में कहा ही नहीं है. अब सवाल यह उठ रहा है कि जब एससीईआरटी ने द्वारा इन शब्दों को नहीं हटाया गया है तो ये शब्द कैसे हटे? इस मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं. हालांकि अपनी सफाई में एससीईआरटी का कहना है कि 10वीं क्लास की किताबों के प्रिंट से पहले प्रूफ रीडिंग की गलती से ऐसा हुआ है.
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