
'तीन महीने में लागू करें डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों पर लेबल लगाने की नीति', सरकार को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
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सुप्रीम कोर्ट ने पैकेज्ड फूड आइटम के कवर पर सामने की ओर चेतावनी लेबल लगाए जाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र को निर्देश दिया है कि इसे तीन महीने में लागू करें.
डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपना लिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिया है कि डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों पर लेबल लगाने की नीति तीन महीने में लागू करें. सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश पैकेज्ड फूड आइटम के कवर पर सामने की ओर चेतावनी लेबल लगाए जाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को यह निर्देश भी दिया कि इसके लिए गठित समिति की सिफारिशों को तीन महीने में लागू किया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से 2020 के FSS लेबलिंग और डिस्प्ले रेगुलेशन में संशोधन पर तीन महीने के भीतर फैसला लेने के लिए भी कहा है. सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका का निपटारा करते हुए सरकार के साथ ही FSSAI को भी नए नियम में संशोधन तीन महीने के भीतर पूरा करने के निर्देश दिए. इस याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस जेबी पारदीवाला का हल्का-फुल्का अंदाज भी देखने को मिला. जस्टिस पारदीवाला ने याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से हल्के-फुल्के अंदाज में पुछा कि आप सभी के नाती-नातिन हैं?
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सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने आगे कहा कि आप इस याचिका पर उन्हें फैसला करने दें. फिर आपको पता चल जाएगा कि कुरकुरे या मैगी क्या है और किस तरह का रैपर होना चाहिए? उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें पैकेट पर लिखी या दी गई कोई जानकारी नहीं दिखती. उन्हें तो बस अंदर के सामान से मतलब होता है. हालांकि, कोर्ट ने इस मामले मे केंद्र के द्वारा FSSAI के हलफनामे के आधार पर कहा कि इसको लेकर जनता सहित हितधारकों की ओर से लगभग 14 हजार सुझाव प्राप्त हुए.
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इन सुझावों के आधार पर केंद्र ने 2020 के FSS लेबलिंग और डिस्प्ले रेगुलेशन में संशोधन करने का फैसला किया है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में वकील राजीव एस द्विवेदी ने जनहित याचिका दाखिल कर अदालत से ये मांग की थी कि केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पैकेज्ड फूड आइटम पर FOPL (फ्रंट-ऑफ-पैकेज चेतावनी लेबल) लगाना अनिवार्य करने के लिए निर्देश दिया जाए.

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