
ट्रंप के टैरिफ वार से भारत में सस्ते होंगे इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स? चीनी कंपनियां दे रहीं 5% का डिस्काउंट ऑफर
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अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ से होने वाले नुकसान बचने के लिए चीन ने भारत से मदद मांगी है. चीन ने भारत की कंपनियों को इलेक्ट्रॉनिक्स सामान और सेमीकंडक्टर चिप्स आयात करने पर 5 प्रतिशत डिस्काउंट देने की बात कही है. चीन इस ऑफर में अपने लिए दो फायदे देख रहा है.
डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वार के बीच चीन ने भारत को एक डिस्काउंट टैरिफ दिया है. चीन में इलेक्ट्रॉनिक्स सामान का उत्पादन करने वाली कंपनियों ने कहा है कि वो स्मार्ट फोन, वॉशिंग मशीन, टीवी, फ्रीज और एसी जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स सामान का आयात करने पर भारत की कंपनियों को 5 प्रतिशत डिस्काउंट देने की बात कही है.
बहुत सारे लोग इसे भारत पर चीन की मेहरबानी बता रहे हैं लेकिन हकीकत में ये चीन की एक मजबूरी है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के सभी देशों पर जो बेसलाइन और रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था, उस पर उन्होंने 90 दिनों के लिए रोक लगा दी है.
इन देशों में हमारा देश भारत भी शामिल है, जिसे अब अगले 90 दिनों तक अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले सामान पर 26 परसेंट का रेसिप्रोकल टैरिफ नहीं देना होगा. लेकिन चीन पर लगाए गए 125 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ को राष्ट्रपति ट्रंप ने वापस नहीं लिया है.
अमेरिका के कदम से हिली चीन की इंडस्ट्री अमेरिका ने कहा है कि अगर चीन अपना सामान उसके बाज़ार में बेचना चाहता है तो उसे 90 दिन की कोई छूट नहीं मिलेगी और उसे रेसिप्रोकल टैरिफ किसी भी हालत में देना ही होगा. दूसरी तरफ चीन ने भी ये ऐलान किया है कि अगर अमेरिका की कंपनियां चीन में अपना सामान बेचना हैं तो उन्हें 151 प्रतिशत का रेसिप्रोकल टैरिफ देना होगा. इस लड़ाई ने चीन की इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री को पूरी तरह से हिलाकर रख दिया है और उसका कारण ये है कि चीन जो इलेक्ट्रॉनिक्स सामान अमेरिका को निर्यात करता था, अब उसमें रेसिप्रोकल टैरिफ के कारण भारी कमी आ सकती है. और ये सामान बहुत महंगा हो सकता है.
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उदाहरण के लिए, 125 प्रतिशत के रेसिप्रोकल टैरिफ के कारण 1 लाख रुपये का मोबाइल फोन अमेरिका के बाज़ार में 2 लाख 25 हज़ार रुपये का हो जाएगा. 50 हज़ार रुपये का टीवी 1 लाख 12 हज़ार 500 रुपये का हो जाएगा और डेढ़ लाख रुपये का फ्रीज 3 लाख 37 हज़ार 500 रुपये हो जाएगा. यानी इस रेसिप्रोकल टैरिफ से इन सामान की कीमतें इतनी बढ़ जाएंगी कि अमेरिका के लोग इन्हें खरीदना बंद कर देंगे.

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