'जानबूझकर नुकसान...', ईरानी राष्ट्रपति की मौत पर रूस ने अमेरिका को बताया जिम्मेदार!
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ईरान के राष्ट्रपति की हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत के बाद पूर्व ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने अमेरिका पर दोष मढ़ा था. उन्होंने कहा था कि अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से ईरान की विमानन क्षमता प्रभावित हुई है. अब रूस ने भी इस हादसे के लिए अमेरिका को कसूरवार ठहराया है.
ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन की मौत के लिए रूस ने अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने मंगलवार को कहा कि अमेरिकी प्रतिबंधों ने दुनिया के कई देशों की विमानन सुरक्षा के लिए बदतर हालात पैदा कर दिए हैं.
कजाकिस्तान में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की मंत्रिस्तरीय बैठक में बोलते हुए लावरोव ने कहा, 'अमेरिका इससे इनकार करता है लेकिन सच्चाई ये है कि जिन अन्य देशों के खिलाफ अमेरिका ने प्रतिबंध लगाए हैं, उन्हें विमानन सहित अमेरिकी उपकरणों के लिए स्पेयर पार्ट्स नहीं मिलते हैं.'
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, लावरोव ने आगे कहा, 'हम इन वाहनों का इस्तेमाल करने वाले आम नागरिकों को जानबूझकर नुकसान पहुंचाने के बारे में बात कर रहे हैं. जब स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति नहीं होती तब सीधे सुरक्षा के स्तर में कमी आती है.'
रविवार को पहाड़ी जंगलों में क्रैश हो गया था राष्ट्रपति रईसी का हेलिकॉप्टर
रविवार को अजरबैजान की सीमा के पास उत्तर-पश्चिमी ईरान में राष्ट्रपति रईसी की हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ था जिसमें रईसी के साथ विदेश मंत्री अब्दुल्लाहियन, दो वरिष्ठ स्थानीय अधिकारी, दो सुरक्षाकर्मी, दो पायलट और एक क्रू के सदस्य सवार थे.
जिस क्षेत्र में हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ वहां का मौसम बेहद खराब था. भारी बारिश और धुंध के कारण बचावकर्मियों को घटनास्थल तक पहुंचने में 17 घंटे से अधिक का समय लग गया. सोमवार को हेलिकॉप्टर का जला हुआ मलबा मिला जिसके बाद रईसी के मौत की पुष्टि की गई.
कुवैत के मीडिया के मुताबिक आग रसोई में लगी थी, अधिकांश मौतें धुएं के कारण हुईं. ये हादसा बुधवार की सुबह 4.30 बजे अल-अहमदी गवर्नरेट के अधिकारियों हादसे की सूचना दी गई थी. इसका मतलब ये आग अलसुबह लगी थी, जिस वक्त लोग नींद के आगेश में थे. कुवैत के मीडिया के अनुसार निर्माण कंपनी NBTC ग्रुप ने 195 से ज्यादा श्रमिकों के रहने के लिए बिल्डिंग किराए पर ली थी, जिनमें से अधिकांश केरल, तमिलनाडु और उत्तरी राज्यों के भारतीय रह रहे थे.
कुवैत में हुए भीषण अग्निकांड में अब तक 40 से ज्यादा भारतीय मजदूरों की जान जा चुकी. इस बीच कई रिपोर्ट्स दावा कर रही हैं कि इमारत में क्षमता से ज्यादा मजदूरों को जबर्दस्ती रखा गया था. खाड़ी देशों में मजदूरों के रहने-खाने के हालात खास अच्छे नहीं. कुवैत समेत लगभग सभी गल्फ देशों में कफाला सिस्टम है, जो एम्प्लॉयर को कर्मचारी पर जरूरत से ज्यादा हक देता है.
दक्षिणी कुवैत के मंगफ क्षेत्र में विदेशी मजदूरों वाली एक बहुमंजिला इमारत में भीषण आग लगने से करीब 40 भारतीयों की मौत हो गई और 50 से अधिक अन्य लोग घायल हो गए. अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि अल-मंगफ नाम की इस इमारत में भीषण आग लगने से कुल 49 लोगों की जान गई है जिनमें से 42 के बारे में माना जा रहा है कि वो भारतीय थे.
कुवैत के मंगाफ शहर की एक बिल्डिंग में लगी आग में करीब 49 लोगों की मौत हो गई है. मरने वाले लोगों में अधिकतर भारतीय नागरिक बताए जा रहे हैं. जिस इमारत में आग लगी वह एक कंपनी के पास है जिसमें उसी कंपनी के काफी श्रमिक रहते हैं. चश्मदीदों ने बताया कि हादसे का मंजर बेहद दर्दनाक था. लोग बचाने के लिए चीख-चिल्ला रहे थे.