छत्तीसगढ़: ‘आदिवासियों को भी विकास चाहिए, लेकिन वैसे नहीं जैसे सरकार चाहती है’
The Wire
बस्तर संभाग के सुकमा ज़िले के सिलगेर गांव में 20 दिनों से हज़ारों ग्रामीण आंदोलनरत हैं. उनका कहना है कि उन्हें जानकारी दिए बिना उनकी ज़मीन पर राज्य सरकार ने सुरक्षाबल के कैंप लगा दिए हैं. ग्रामीणों को हटाने के लिए हुई पुलिस की गोलीबारी में तीन ग्रामीणों की मौत हुई है, जिसके बाद से आदिवासियों में काफ़ी आक्रोश है.
बस्तर: ‘पुलिस की गोलीबारी में मेरे भाई की मौत हो गई है, जिनका शव लेने के लिए हम यहां आए हैं, मेरे गांव के कई लोगों को पुलिस ने जेल में बंद कर दिया है और कलेक्टर ने कहा है कि अगर गांव वाले आंदोलन से अपने-अपने घर चले जाते हैं, तभी उनके घर वालों को छोड़ा जाएगा.’ बीजापुर के गुडेम गांव के युवक हूंगा पूनेम यह बताते हुए निराश हो जाते हैं. बस्तर संभाग के सुकमा जिले के सिलगेर गांव में 20 दिनों से हजारों ग्रामीण आंदोलनरत है. ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें जानकारी दिए बगैर ही उनकी जमीन पर छत्तीसगढ़ सरकार ने सुरक्षाबल के कैंप लगा दिए हैं, जिस वजह से ग्रामीण लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. आंदोलनकारी ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सरकार कैंप को हटा नहीं देगी तब तक उनका आंदोलन चलता रहेगा. बता दें कि आंदोलन में भारी संख्या में महिला, पुरुष, बूढ़े और बच्चे सभी शामिल हैं. बस्तर में ग्रामीण आदिवासी सुरक्षाबलों के कैंप का विरोध लंबे समय से कर रहे हैं. लेकिन 17 मई को आंदोलन कर रहे ग्रामीणों पर सुरक्षाबलों द्वारा फायरिंग कर दी गई, इस घटना में तीन ग्रामीणों की जान चली गई और लगभग 18 लोग घायल हो गए.More Related News