छत्तीसगढ़ में बड़ा हादसा, अचानक खदान धंसने से कई ग्रामीण फंसे, अब तक पांच की मौत, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
AajTak
छत्तीसगढ़ में शुक्रवार को बड़ा हादसा हो गया. छुई में खदान धंसने से अब तक पांच लोगों की मौत हो गई. जगदलपुर से 11 किलोमीटर दूर ग्राम मालगांव में यह हादसा हुआ है. कई और लोगों के फंसे होने की सूचना है. उन्हें बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है.
छत्तीसगढ़ में शुक्रवार को बड़ा हादसा हो गया. जगदलपुर से 11 किलोमीटर दूर ग्राम मालगांव में छुई खदान अचानक धंस गई. इस हादसे की चपेट में आने से अब तक 5 लोगों की मौत हो गई है. बताया जा रहा है कि हादसे की चपेट में आने से 12 से ज्यादा ग्रामीण उसमें फंस गए थे.
सूचना के मुताबिक घटना स्थल पर अभी भी कई और लोग फंसे हुए हैं. पुलिस और एसडीआरएफ ने उन्हें बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है. जानकारी के मुताबिक अब तक 7 लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है. 7 में से 5 लोगों की मौत हो गई है. वहीं 5 और लोगों के खदान में फंसे होने की आशंका. अनुमान है कि 30 से 45 मिनट में बाकी फंसे लोगों को भी निकाल लिया जाएगा.
मिजोरम में खदान ढहने से हो गई थी 12 की मौत
मिजोरम के हनथियाल जिले में 14 नवंबर को एक पत्थर खदान ढह गई थी. खनन के दौरान कई बड़े-बड़े पत्थर ऊपर से टूटकर उन पर गिर पड़े थे, जिसके मलबे के ढेर में 12 मजदूर दब गए थे. असम राइफल्स, बीएसएफ, स्थानीय पुलिस, एनडीआरएफ की टीमों ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया था. इस हादसे में फंसे सभी मजदूरों की मौत हो गई थी.
केरल में ड्राइविंग के दौरान नियमों की धजी उड़ाने वाले शख्स पर कार्रवाई करते हुए मोटर व्हीकल विभाग ने तीन महीने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड कर दिया है. अलप्पुझा के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) आर. रामनन की जांच के बाद आरोपी पुजारी बैजू विंसेंट के खिलाफ कार्रवाई करते हुए तीन महीने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड कर किया गया है.
दिल्ली-कनाडा फ्लाइट को बीते सप्ताह उड़ाने की धमकी एक मेल के जरिए दी गई थी. इस मामले में पुलिस ने 13 साल के एक बच्चे को पकड़ा है. यह मेल बच्चे ने हंसी-मजाक में भेज दिया था. वह यह देखना चाहता था कि धमकी भरा मेल भेजने के बाद पुलिस उसे ट्रेस कर पाती है या नहीं. अब उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश किया जाएगा.
‘जिस घर में कील लगाते जी दुखता था, उसकी दीवारें कभी भी धसक जाती हैं. आंखों के सामने दरार में गाय-गोरू समा गए. बरसात आए तो जमीन के नीचे पानी गड़गड़ाता है. घर में हम बुड्ढा-बुड्ढी ही हैं. गिरे तो यही छत हमारी कबर (कब्र) बन जाएगी.’ जिन पहाड़ों पर चढ़ते हुए दुख की सांस भी फूल जाए, शांतिदेवी वहां टूटे हुए घर को मुकुट की तरह सजाए हैं. आवाज रुआंसी होते-होते संभलती हुई.