
छत्तीसगढ़ में अब मंत्रियों और अफसरों को नहीं मिलेगा 'गार्ड ऑफ ऑनर', सरकार ने बदला नियम
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छत्तीसगढ़ सरकार ने 'गार्ड ऑफ ऑनर' (Guard of Honour) से जुड़े दशकों पुराने प्रोटोकॉल को समाप्त कर दिया है. यह अहम फैसला उपमुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री विजय शर्मा की विशेष पहल पर लिया गया है.
छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने प्रशासनिक और पुलिस व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव किया है. सरकार ने 'गार्ड ऑफ ऑनर' (Guard of Honour) से जुड़े दशकों पुराने प्रोटोकॉल को समाप्त कर दिया है. अब राज्य के मंत्रियों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को उनके नियमित दौरों, निरीक्षणों या जिला प्रवास के दौरान यह औपचारिक सलामी नहीं दी जाएगी.
यह अहम फैसला उपमुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री विजय शर्मा की विशेष पहल पर लिया गया है. उन्होंने लंबे समय से चली आ रही इस प्रोटोकॉल व्यवस्था की समीक्षा के निर्देश दिए थे. सरकार का मानना है कि गार्ड ऑफ ऑनर जैसी औपचारिक जिम्मेदारियों में पुलिस बल की तैनाती से उनकी मूल भूमिका प्रभावित होती है. नए फैसले का उद्देश्य पुलिस कर्मियों को औपचारिक और प्रतीकात्मक ड्यूटी से मुक्त कर कानून-व्यवस्था, सुरक्षा और जनसेवा जैसे अहम कार्यों में अधिक प्रभावी ढंग से तैनात करना है.
क्या कहता है नया आदेश?
गृह विभाग द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, अब राज्य के भीतर नियमित आवागमन, निरीक्षण या दौरे के दौरान गृह मंत्री, अन्य मंत्री, पुलिस महानिदेशक (DGP) और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को किसी प्रकार का औपचारिक सलामी या गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया जाएगा. यह व्यवस्था सभी जिलों और पुलिस इकाइयों पर समान रूप से लागू होगी.
कहां जारी रहेगी यह परंपरा?
सरकार ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय महत्वपूर्ण आयोजनों में यह परंपरा जारी रहेगी. गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, पुलिस शहीद दिवस, राष्ट्रीय एकता दिवस, पुलिस पासिंग आउट परेड जैसे अवसरों पर तथा संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों और विशिष्ट अतिथियों के लिए प्रोटोकॉल के अनुसार गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता रहेगा.

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