
गेंद BJP के पाले में थी, फिर भी बिहार में नीतीश कुमार को सीएम बनाने की क्या मजबूरी थी?
AajTak
बिहार में विधायकों की संख्या और सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ माहौल के बाद भी क्यों बीजेपी उन्हे हटाकर अपनी पार्टी के किसी नेता को सीएम नहीं बनाया? क्या बीजेपी अभी भी राज्य में अपने को कमजोर पा रही है?
बिहार में विधायकों की संख्या की बात हो या आम जनता के बीच बन नीतीश विरोधी माहौल की बात हो भारतीय जनता पार्टी हर हाल में जेडीयू से बेहतर पोजिशन में है. इसके बावजूद भी आम जनता को ये समझ में नहीं आ रहा है कि बीजेपी ने एक बार फिर नीतीश कुमार को बड़े भाई की भूमिका क्यों दे दी. बीजेपी चाहती तो बहुत आसानी से अपने किसी नेता को बिहार के मुख्यमंत्री पद पर बैठा सकती थी. पर ऐसा नहीं हुआ एकबार फिर नीतीश कुमार ने अपनी उपयोगिता साबित कर दी.
2020 के चुनावों में आरजेडी और बीजेपी दोनों ही विधायकों की संख्या के मामले में करीब-करीब जेडीयू से दोगुने सीट हासिल किए थे. फिर भी दोनों नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने के लिए दोनों ही पार्टियां मजबूर दिखीं. एनडीए और महागठबंधन दोनों ही नीतीश कुमार को बिना सीएम बनाए सरकार नहीं चला सके. महागठबंधन में इस बार की टूट के बाद ऐसा माना जा रहा था कि बीजपी किसी भी सूरत में नीतीश कुमार को सीएम नहीं बनाएगी. पर ऐसा क्या हुआ कि बीजेपी को नीतीश कुमार को एक बार सीएम बनाने पर मजबूर होना पड़ा?
ऐन चुनाव के मौके पर देश की जनता के सामने ऑपरेशन लोटस का सदेंश नहीं देना चाहती थी बीजेपी
2024 के लोकसभा चुनावों के समय देश की जनता के सामने ऑपरेशन लोटस का संदेश बहुत गलत जाता. नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री न बनाकर बीजेपी ने यह संदेश दे दिया कि उसे सत्ता की लालच नहीं है. पार्टी का मूल उद्दैश्य बिहार में स्थाई सरकार देना है. अगर बीजेपी का कोई नेता चीफ मिनिस्टर की कुर्सी पर बैठता तो विपक्ष यह आरोप लगाता कि बीजेपी किसी भी हाल में दूसरी पार्टियों की सरकार नहीं देखना चाहती है. नरेंद्र मोदी सरकार पर तानाशाही और लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगता. ये भी कहा जाता कि बीजेपी ही लालू और नीतीश के बीच झगड़े का असली कारण है.
बीजेपी महाराष्ट्र में इसी कारण देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री न बनाकर शिवसेना तोड़कर आने वाले एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री तौर पर स्वीकार किया था. महाराष्ट्र में तो शिंदे को यकीन भी नहीं था कि वे सीएम बन जाएंगे. वो तो डिप्टी सीएम बनने की ही सोचकर बीजेपी में आए थे. बिहार में भी कुछ ऐसा हुआ है. ऐसा लगता है कि बिहार में भी नीतीश कुमार को भी नहीं पता रहा होगा कि बीजेपी उन्हें फिर से सीएम बनने देगी. 2020 के विधानसभा चुनावों में जेडीयू की सीटों की संख्या बीजेपी से काफी कम रह गई थी. नीतीश को बाहर बैठना मंजूर था उसके बाद भी बीजेपी ने उन्हें सीएम बनाया था. कुछ ऐसा ही इस बार भी हुआ है.
बीजेपी आरजेडू और जेडीयू के वोटर्स में सेंध लगानी है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को कई अनोखे और खास तोहफे भेंट किए हैं. इनमें असम की प्रसिद्ध ब्लैक टी, सुंदर सिल्वर का टी सेट, सिल्वर होर्स, मार्बल से बना चेस सेट, कश्मीरी केसर और श्रीमद्भगवदगीता की रूसी भाषा में एक प्रति शामिल है. इन विशेष तोहफों के जरिए भारत और रूस के बीच गहरे संबंधों को दर्शाया गया है.

चीनी सरकारी मीडिया ने शुक्रवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उन बयानों को प्रमुखता दी, जिनमें उन्होंने भारत और चीन को रूस का सबसे करीबी दोस्त बताया है. पुतिन ने कहा कि रूस को दोनों देशों के आपसी रिश्तों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं. चीन ने पुतिन की भारत यात्रा पर अब तक आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन वह नतीजों पर नजर रखे हुए है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में शुक्रवार रात डिनर का आयोजन किया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस डिनर में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को निमंत्रण नहीं दिया गया. इसके बावजूद कांग्रेस के सांसद शशि थरूर को बुलाया गया.

आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है. यानी दोनों देशों का संबंध एक ऐसा अटल सत्य है, जिसकी स्थिति नहीं बदलती. सवाल ये है कि क्या पुतिन का ये भारत दौरा भारत-रूस संबंधों में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है? क्या कच्चे तेल जैसे मसलों पर किसी दबाव में नहीं आने का दो टूक संकेत आज मिल गया? देखें हल्ला बोल.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में जमा पैसा देवता की संपत्ति है और इसे आर्थिक संकट से जूझ रहे सहकारी बैंकों को बचाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें थिरुनेल्ली मंदिर देवस्वोम की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि वापस करने के निर्देश दिए गए थे. कोर्ट ने बैंकों की याचिकाएं खारिज कर दीं.

देश की किफायत विमानन कंपनी इंडिगो का ऑपरेशनल संकट जारी है. इंडिगो को पायलट्स के लिए आए नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों को लागू करने में भारी दिक्कत आ रही है. इस बीच आज इंडिगो की 1000 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हो गई है, जिस पर कंपनी के सीईओ का पहला बयान सामने आया है. इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने इंडिगो ऑपरेशनल संकट पर पहली बार बयान देते हुए कहा कि पिछले कुछ दिनों से विमानन कंपनी के कामकाज में दिक्कतें आ रही हैं. कंपनी का कामकाज पांच दिसंबर को सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. आज 100 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हुई हैं.







