
गड़बड़ी पाएंगे तो उन्हें बाहर नहीं करेंगे? शिक्षा भर्ती में धांधली पर SC की तल्ख टिप्पणी
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सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से पूछा कि अवैध नियुक्तियों के बजाय अतिरिक्त पद क्यों बनाए गए. कोलकाता हाई कोर्ट ने 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों को अवैध करार दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई को हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई थी लेकिन सीबीआई जांच जारी रखने की अनुमति दी. राज्य सरकार ने प्रतीक्षा सूची वाले उम्मीदवारों के लिए 6,861 अतिरिक्त पद बनाए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल सरकार से सवाल किया कि उसने कथित रूप से अवैध रूप से नियुक्त लोगों को हटाने के बजाय शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए अतिरिक्त पद (सुपरन्यूमरेरी पोस्ट) क्यों बनाए? यह मामला कोलकाता हाई कोर्ट के 22 अप्रैल के उस फैसले से जुड़ा है, जिसमें राज्य के स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों को अवैध करार करते हुए रद्द कर दिया गया था.
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने पूछा, "ये अतिरिक्त पद क्यों बनाए गए? इसका उद्देश्य क्या था?" पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि एक समिति ने चयन प्रक्रिया की जांच की और रिपोर्ट पेश की. पीठ ने कहा कि रिपोर्ट में गड़बड़ियां पाई गईं. इस पर द्विवेदी ने तर्क दिया कि समिति ने गड़बड़ियां पाई थीं, लेकिन ये गड़बड़ियां सीबीआई की रिपोर्ट जितनी व्यापक नहीं थीं.
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने पूछा, "अगर गड़बड़ी पाई गई है, तो क्या आप पहले उन्हें बाहर नहीं करेंगे?" द्विवेदी ने कहा कि नोटिस में साफ जानकारी दी गई थी कि नियुक्ति वेटिंग लिस्ट के उम्मीदवारों से की गई थी. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "इसका मतलब है कि आप 'दागी' उम्मीदवारों को हटाना नहीं चाहते."
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई को राज्य के स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) द्वारा की गई नियुक्तियों पर हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को मामले में अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी. 7 मई के अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 19 मई, 2022 को राज्य सरकार ने प्रतीक्षा सूची वाले उम्मीदवारों को समायोजित करने के लिए शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के 6,861 अतिरिक्त पद बनाए थे ताकि प्रतीक्षा सूची के उम्मीदवारों को नियुक्त किया जा सके.
शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि उसे निर्देश दिया गया था कि ऐसे प्रतीक्षा सूची वाले उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र एसएससी की सिफारिश के अनुसार जारी किए जाने चाहिए, जो हाईकोर्ट के समक्ष लंबित मुकदमे के नतीजे के अधीन हो.
सुनवाई के दौरान पीठ ने पूछा, "क्या राज्य सरकार यह कह रही है कि दागी और बिना दागी उम्मीदवारों को अलग करना असंभव है?" द्विवेदी ने कहा कि राज्य सरकार अलगाव का समर्थन कर रही है. उन्होंने हाई कोर्ट पर "बहुत आगे बढ़ने" और "सभी की जांच करने" का निर्देश देने का आरोप लगाया. पीठ ने यह भी सवाल किया कि मूल ओएमआर शीट क्यों उपलब्ध नहीं है. क्योंकि "मूल पेपर ही पहला सबूत है. अगर इसमें कोई हेरफेर हुआ है, तो वह ओएमआर शीट पर ही दिखेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों को अनुशंसा भी नहीं की गई और जिन्होंने परीक्षा पास नहीं की, उन्हें भी नियुक्ति पत्र जारी किए गए. इस मामले पर अगली सुनवाई जनवरी 2025 में जारी रहेगी.

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