क्यों लोकसभा में क़रीब 4 वर्षों से उपाध्यक्ष नियुक्त न करना एक ग़लत मिसाल है
The Wire
17 जून 2019 को वर्तमान लोकसभा की बैठक के तुरंत बाद अध्यक्ष (स्पीकर) ओम बिड़ला चुने गए थे, लेकिन डिप्टी स्पीकर का पद अभी भी ख़ाली है. नियमों के अनुसार, निर्वाचित स्पीकर को अपनी नियुक्ति के तुरंत बाद अपने डिप्टी के चुनाव की सूचना देनी चाहिए. हालांकि, बिड़ला ने ऐसा करने से परहेज़ किया है.
नई दिल्ली: लोकसभा में करीब चार साल से उपाध्यक्ष (डिप्टी स्पीकर) की गैर-मौजूदगी केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच विवाद की ताजा वजह बन गई है. For the last 4 years there has been no Deputy Speaker in the Lok Sabha. This is unconstitutional. What a far cry from March 1956 when Nehru proposed the name of Sardar Hukam Singh an Opposition Akali Dal MP & a critic of Nehru for the post & he was unanimously elected.
जहां कांग्रेस ने दावा किया कि निचले सदन (लोकसभा) में डिप्टी स्पीकर का न होना ‘‘असंवैधानिक’ है, वहीं सरकारी सूत्रों ने कहा कि डिप्टी स्पीकर का न होना किसी भी तरह से सदन की कार्यवाही में बाधा नहीं डालता है और डिप्टी स्पीकर की कोई ‘तत्काल आवश्यकता’ नहीं है. — Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) March 5, 2023
वर्तमान लोकसभा की पहली बैठक हुए करीब तीन साल सात महीने बीत चुके हैं. संविधान के अनुच्छेद 93 और 178 के अनुसार, सदन को जल्द से जल्द दो पीठासीन अधिकारियों का चुनाव करने की आवश्यकता है.
हालांकि, 17 जून 2019 को वर्तमान लोकसभा की बैठक के तुरंत बाद अध्यक्ष (स्पीकर) ओम बिड़ला चुने गए थे, लेकिन डिप्टी स्पीकर का पद अभी भी खाली है.