
क्या है बर्थ टूरिज्म, जिसके तहत गरीब देशों की प्रेग्नेंट औरतें बॉर्डर पार करने लगीं, अमेरिका क्यों हुआ इससे परेशान?
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अक्षय कुमार ने कनाडाई नागरिकता छोड़कर भारत की सिटिजनशिप ली. इसके बाद से इसपर खूब बात हो रही है कि किसी भी देश की नागरिकता कैसे मिलती है. अमेरिका या कनाडा जैसे देशों की नागरिकता पाने के लिए विदेशी कपल एक खास तरीका अपनाते थे, जिसे बर्थ टूरिज्म कहा गया. धीरे-धीरे ये इतना बढ़ा कि इसे बर्थ टैररिज्म तक कहा जाने लगा.
जब भी किसी बच्चे की नागरिकता की बात होती है, तो पूरी दुनिया में दो ही नियम मिलेंगे. एक है- राइट ऑफ सॉइल. ये कहता है कि बच्चे का जहां जन्म हुआ हो, वो अपने आप वहां का नागरिक बन जाता है. दूसरा नियम है- राइट ऑफ ब्लड. यानी बच्चे के माता-पिता जहां के नागरिक हों, बच्चा भी वहीं का माना जाए. कई देश ऐसे भी हैं, जो राइट ऑफ सॉइल पर ज्यादा फोकस करते हैं. वे हर उस बच्चे को अपने यहां की नागरिकता देते हैं, जो उनकी मिट्टी में जन्मा हो. बर्थ टूरिज्म की शुरुआत ऐसे ही हुई.
किन देशों में जन्म के आधार पर नागरिकता?
30 से ज्यादा देश बर्थ राइट सिटिजनशिप को मानते हैं. इसमें अमेरिका सबसे ऊपर है. उसने 19वीं सदी में ही राइट ऑफ सॉइल की बात की थी और अपने यहां जन्मे बच्चों को अपना नागरिक बताने लगा था. इसके अलावा कनाडा, अर्जेंटिना, बोलिविया, इक्वाडोर, फिजी, ग्वाटेमाला, क्यूबा और वेनेजुएला जैसे कई मुल्क ये अधिकार देते रहे. हालांकि कई जगहें ज्यादा सख्त हैं. जैसे कई देशों में नागरिकता के लिए बच्चे के माता-पिता दोनों को वहां का होना चाहिए.
किस देश से आते हैं एंकर बेबी?
बहुत से गरीब देश या वे जगहें जहां लगातार युद्ध चल रहा हो, वहां के लोग अपने लिए ऐसी जगहें खोजने लगे, जहां राइट ऑफ सॉइल का नियम हो. अमेरिका पर इनकी तलाश पूरी हुई. ये बर्थ राइट सिटिजनशिप भी देता था और सबसे ताकतवर देश भी था. कमजोर देशों से भाग-भागकर पेरेंट्स यहां आने लगे और बच्चों को जन्म देने लगे.

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