
कौन हैं दयान कृष्णन? जो तहव्वुर राणा के खिलाफ भारत की ओर से करेंगे मुकदमे की अगुवाई
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तहव्वुर राणा के मामले में दयान कृष्णन की भूमिका 2010 से ही जुड़ी रही है, जब वे NIA की उस टीम का हिस्सा थे, जिसने डेविड कोलमैन हेडली से शिकागो में पूछताछ की थी. 2014 में उन्हें हेडली और तहव्वुर राणा दोनों के प्रत्यर्पण मामलों के लिए विशेष लोक अभियोजक (Special Public Prosecutor) नियुक्त किया गया था.
2008 के मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद भारत वापस लाया गया है. 26/11 के आरोपी को लेकर विशेष विमान शाम करीब 6.30 बजे पालम एयरपोर्ट पर उतरा. एयरपोर्ट पर उसका मेडिकल चेकअप करवाया गया. वहीं, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) उसे गिरफ्तार किया. इस कानूनी प्रक्रिया की सबसे अहम कड़ी बनने जा रहे हैं- वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन, जो इस हाई-प्रोफाइल मुकदमे में भारत की ओर से मुकदमे की अगुवाई करेंगे.
कौन हैं दयान कृष्णन?
दयान कृष्णन भारत के अग्रणी आपराधिक वकीलों में गिने जाते हैं. सुप्रीम कोर्ट में लंबे समय से प्रैक्टिस कर रहे कृष्णन का नाम देश के सबसे अनुभवी और प्रतिष्ठित वकीलों में आता है. वे भारत के पहले नेशनल लॉ स्कूल (NLSIU, बेंगलुरु) के 1993 बैच से पढ़े हैं. संभवतः वह उसके पहले बैच का हिस्सा थे. उन्होंने 1999 में स्वतंत्र रूप से वकालत शुरू की और कई ऐतिहासिक मामलों में अपनी भूमिका निभाई. कृष्णन ने 2001 के संसद हमले के मुकदमे और कावेरी जल विवाद जैसे ऐतिहासिक मामलों को संभाला है. उन्होंने 1999 में जस्टिस जेएस वर्मा आयोग में भी योगदान दिया और 2012 के दिल्ली सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में विशेष लोक अभियोजक के रूप में कार्य किया.
तहव्वुर राणा केस में अनुभव? तहव्वुर राणा के मामले में दयान कृष्णन की भूमिका 2010 से ही जुड़ी रही है, जब वे NIA की उस टीम का हिस्सा थे, जिसने डेविड कोलमैन हेडली से शिकागो में पूछताछ की थी. 2014 में उन्हें हेडली और तहव्वुर राणा दोनों के प्रत्यर्पण मामलों के लिए विशेष लोक अभियोजक (Special Public Prosecutor) नियुक्त किया गया था. उन्होंने रवि शंकरण (2011) और रेमंड वार्ले (2012) जैसे गंभीर आपराधिक मामलों में भारत सरकार की ओर से अदालतों में पक्ष रखा.
अमेरिका में कानूनी लड़ाई में बड़ी जीत
तहव्वुर राणा ने अमेरिका में प्रत्यर्पण से बचने के लिए 'डबल जेपर्डी' (Double Jeopardy) का तर्क दिया था, यानी एक ही अपराध के लिए दो बार मुकदमा नहीं चल सकता, लेकिन कृष्णन ने कोर्ट में ये साबित किया कि यह तर्क लागू नहीं होता, क्योंकि आरोपों की प्रकृति अलग है, सिर्फ आरोपी का आचरण नहीं देखा जाता. मई 2023 में अमेरिका के एक मजिस्ट्रेट जज ने कृष्णन की दलीलों को स्वीकार किया. इसके बाद यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट और नाइंथ सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स ने भी यही फैसला बरकरार रखा. तहव्वुर राणा ने फिर यूएस सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, लेकिन 21 जनवरी 2025 को वहां से भी उसे कोई राहत नहीं मिली. अंततः 4 अप्रैल 2025 को उसकी रीव्यू याचिका भी खारिज हो गई, जिससे भारत में प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया.

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