कोविड: तीन राज्यों में आधिकारिक आंकड़े से 3.5 लाख ज़्यादा मौतें, मुआवज़ा पाना टेढ़ी खीर
The Wire
जनवरी की शुरुआत तक राजस्थान, झारखंड, आंध्र प्रदेश में कोविड-19 से हुई अतिरिक्त यानी आधिकारिक आंकड़े से ज़्यादा मौतें, सरकारी संख्या से 12 गुना से अधिक थीं. रिकॉर्ड के बेतरतीब रखरखाव और लालफीताशाही के कारण हज़ारों परिवार मुआवज़े से वंचित हो सकते हैं.
नई दिल्ली: पिछले साल, जिस समय नोवेल कोरोना वायरस ने मूल से कहीं ज्यादा घातक रूप अख्तियार कर लिया था- जिसने भारत में कोविड-19 की दूसरी प्रचंड लहर को जन्म दिया- उसी समय श्रवण सिंह खुद को सुरक्षित रखने के लिए अपने घर आ गए. ऐसे प्रक्षेपण से निकलने वाली संख्या वास्तविक से कम या ज्यादा हो सकती है, लेकिन 6-9 प्रतिशत आबादी एक अच्छा सैंपल है और महामारी मृत्यु-दर के पैमाने को समझने के लिए इसे पूरे राज्य पर प्रक्षेपित करना, गलत नहीं होगा.’
सिंह को लगा कि तमिलनाडु की तुलना में, जहां वे काम करते थे, राजस्थान के सीकर में उनके कोरोना से बचने की संभावना कहीं ज्यादा है.
धोद स्थित अपने गांव पहुंचने के डेढ़ महीने बाद 14 मई को उनमें कोविड-19 के लक्षण प्रकट हुए. उनके परिवार ने उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने पर सीकर के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया. 16 मई को उनकी कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई और अगले दिन वे गुजर गए.
उनके भाई जीतू सिंह ने द रिपोर्टर्स कलेक्टिव से बात करते हुए कहा, ‘यह सब बहुत ही अचानक हुआ.’ लेकिन श्रवण की गिनती कोविड से होने वाली आधिकारिक मौतों में नहीं की गई, जबकि उनकी मृत्यु सरकारी अस्पताल में इस संक्रमण से हुई थी.