कोर्ट ने कहा, केंद्रीय मंत्री किसानों को चेतावनी वाला बयान न देते तो शायद लखीमपुर हिंसा न होती
The Wire
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा के चार आरोपियों की ज़मानत याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि राजनीतिक व्यक्तियों को ग़ैर-ज़िम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए, क्योंकि उन्हें अपनी स्थिति और उच्च पद की गरिमा के अनुरूप आचरण करने की आवश्यकता होती है. हिंसा से पहले कृषि क़ानूनों को ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों को केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ ने दो मिनट में ठीक कर देने की चेतावनी दी थी.
इस बीच आशीष मिश्र की जमानत याचिका पर सुनवाई 25 मई तक के लिए टाल दी गई. अजय मिश्र पहले से ही किसानों को भड़का रहे थे। साथ की हरयाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का बयान,जिसमे जैसे को तैसा करने की अपील। भाजपा किसानों के खिलाफ हिंसा को जायज़ क्यों बना रही है ? https://t.co/SXjU6BiZPM
जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने चारों आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि ये सभी मुख्य आरोपी आशीष के साथ सक्रिय रूप से योजना बनाने एवं इस जघन्य कांड को अंजाम देने में शामिल रहे थे. — Abhisar Sharma (@abhisar_sharma) October 3, 2021
अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले के सभी आरोपी राजनीतिक रूप से अत्यधिक प्रभावशाली हैं, अत: जमानत पर छूटने के बाद इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि वे साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे और गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे.
पीठ ने एसआईटी (विशेष जांच दल) के इस निष्कर्ष को भी ध्यान में रखा कि यदि केंद्रीय मंत्री टेनी ने कुछ दिन पहले किसानों के खिलाफ जनता के बीच कुछ कटु वक्तव्य न दिए होते तो ऐसी घटना न होती.