कोरोना के टीके से बांझपन का खतरा है या नहीं, जानिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने क्या कहा
ABP News
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना वैक्सीन से बांझपन नहीं होता और यह सिर्फ अफवाह है. वैक्सीनेशन पर नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप के चेयरमैन एन के अरोड़ा ने कहा है कि पोलियो वैक्सीन के समय भी ऐसी ही अफवाह उड़ाई गई थी लेकिन आज हर कोई जानता है कि इससे किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ. कोरोना वायरस से भी किसी तरह के बांझपन का खतरा नहीं है.
Corona Vaccine and Infertility: जिस रफ्तार के साथ कोरोना वायरस ने हमपर हमला किया उसी रफ्तार के साथ अफवाहों का दौर भी शुरू हुआ. पहले बीमारी को लेकर तरह-तरह की अफवाहें उड़ी और अब कोरोना वैक्सीन को लेकर तरह-तरह की अफवाहें सामने आ रही हैं. अब अफवाह उड़ाई जा रही है कि कोरोना के लिए वैक्सीन लगाने वाले infertility यानी बांझपन के शिकार हो जाएंगे. स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसका पूरी तरह खंडन किया है. भारत में वैक्सीन पर बने National Technical Advisory Group के चेयरमैन एन के अरोड़ा ने (NK Arora) ने कहा है कि कोरोना वैक्सीन से बांझपन की बात सिर्फ अफवाह है. एंटी वैक्सीन लॉबी फैलाती है ऐसी अफवाहअरोड़ा का कहना है कि जब देश-दुनिया में जब पहली बार पोलियो वैक्सीन आई थी, तब उस समय भी ऐसी ही अफवाह फैली थी कि जिन बच्चों को पोलियो की वैक्सीन दी जा रही है, उनमें बड़े होने पर प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि इस तरह की गलत सूचना एंटी-वैक्सीन लॉबी फैलाती है. उन्होंने कहा कि जो भी वैक्सीन दी जा रही है, उन्हें कड़े वैज्ञानिक अनुसंधान से गुजरना पड़ा है. किसी भी वैक्सीन में इस तरह का कोई बुरा असर नहीं होता. अरोड़ा ने कहा, यदि किसी टीके की प्रभावशीलता 80 प्रतिशत है, तो टीकाकरण वाले 20 प्रतिशत लोग हल्के कोविड से संक्रमित हो सकते हैं. भारत में उपलब्ध टीके वायरस के खिलाफ मजबूत एंटीबॉडी विकसित करता है. यह कोरोना पर लगाम लगाने में सक्षम हैं. यदि 60-70 प्रतिशत लोगों को टीका लगाया जाता है, तो वायरस के प्रसार को रोका जा सकता है.More Related News