कोरोनाः दाम, देरी और दमन...वो कदम जिसके चलते विपक्ष के निशाने पर आई केंद्र सरकार
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कोरोना की पहली लहर में पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा उठाए गए कदमों की देश के अंदर और बाहर जमकर सराहना हुई लेकिन दूसरी लहर के विस्फोट पर केंद्र की शुरुआती प्रतिक्रिया ने विपक्ष को उसे घेरने का मौका दे दिया है.
कोरोना की नई लहर ने देश को अपनी गिरफ्त में लिया तो अलग-अलग राज्यों से हजारों की संख्या में नए केस और मौतों के आंकड़े सामने लगे. इस त्रासदी ने देश के राजनीतिक परिदृश्य को भी बदलकर रख दिया. एक महीने पहले जहां केंद्र की मोदी सरकार कोरोना पर ‘विश्व विजय’ की उद्घोषणा करते हुए गदगद हुए जा रही थी, वो नए संकट से निपटने में विश्व की मदद की आस लगाते दिखी. कोरोना की पहली लहर में पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा उठाए गए कदमों की देश के अंदर और बाहर जमकर सराहना हुई लेकिन दूसरी लहर के विस्फोट पर केंद्र की शुरुआती प्रतिक्रिया ने विपक्ष को उसे घेरने का मौका दे दिया है. खासकर ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर उसका देर से हरकत में आना, राज्यों के लिए केंद्र की तुलना में वैक्सीन के दाम तीन से चार गुना तक ज्यादा होना और सोशल मीडिया पर सरकारी अव्यवस्थाओं को उजागर कर रहे ट्वीट्स के खिलाफ सख्ती का रास्ता अपनाना ऐसे कदम हैं जो विपक्ष के लिए जनता में केंद्र सरकार की लोकप्रियता को नुकसान पहुंचाने वाले हथियार बन सकते हैं.अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश कैडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी, कुमार को पिछले साल अप्रैल में मुख्य सचिव के पद पर नियुक्त किया गया था. इससे पहले वह अरुणाचल प्रदेश के सीएस थे. 60 वर्षीय नौकरशाह पिछले साल 30 नवंबर को रिटायर होने वाले थे. तब 6 महीने के लिए उनका कार्यकाल बढ़ा दिया गया था.
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