
कुडुख भाषा के बारे में जानिए, जिसका PM मोदी ने 'मन की बात' में किया जिक्र
AajTak
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' के 108वें एपिसोड में कई मुद्दों और उपलब्धियों पर चर्चा करते हुए अपनी भाषाओं को बचाने की बात भी कही. उन्होंने कहा कि बदलते हुए समय में हमें अपनी भाषाएं बचानी भी हैं और उनका संवर्धन भी करना है. इस दौरान उन्होंने कुडुख भाषा का भी जिक्र किया.
PM Modi Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'मन की बात' का 108वां एपिसोड रविवार (31 दिसंबर 2023) को प्रसारित हुआ. इस मौके पर उन्होंने देश की कई विशेष उपलब्धियों जैसे 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम', भारत के 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने, G20 Summit से लेकर दिवाली पर रिकॉर्ड कारोबार का जिक्र किया. 'मन की बात' में उन्होंने झारखंड के एक आदिवासी गांव के स्कूली बच्चों को पढ़ाई जाने वाली मातृभाषा का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि बदलते हुए समय में हमें अपनी भाषाएं बचानी भी हैं और उनका संवर्धन भी करना है.
पीएम मोदी ने 'मन की बात' में उन्होंने कहा, मैं आपको झारखंड के एक आदिवासी गांव के बारे में बताना चाहता हूं. इस गांव ने अपने बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा देने के लिए एक अनूठी पहल की है. गढ़वा जिले के मंगलो गांव में बच्चों को कुडुख भाषा में शिक्षा दी जा रही है. इस स्कूल का नाम है, 'कार्तिक उरांव आदिवासी कुडुख स्कूल'. इस स्कूल में 300 आदिवासी बच्चे पढ़ते हैं.
पीएम मोदी ने कुडुख भाषा के बारे बताया उन्होंने कहा, 'कुडुख भाषा, उरांव आदिवासी समुदाय की मातृभाषा है. कुडुख भाषा की अपनी लिपि भी है, जिसे 'तोलंग सिकी' नाम से जाना जाता है. ये भाषा धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही थी, जिसे बचाने के लिए इस समुदाय ने अपनी भाषा में बच्चों को शिक्षा देने का फैसला किया है. इस स्कूल को शुरू करने वाले अरविन्द उरांव कहते हैं कि आदिवासी बच्चों को अंग्रेजी भाषा में दिक्कत आती थी इसलिए उन्होंने गांव के बच्चों को अपनी मातृभाषा में पढ़ाना शुरू कर दिया. उनके इस प्रयास से बेहतर परिणाम मिलने लगे तो गांव वाले भी उनके साथ जुड़ गए.
पीएम मोदी ने कहा, 'अपनी भाषा में पढ़ाई की वजह से बच्चों के सीखने की गति भी तेज हो गई. हमारे देश में कई बच्चे भाषा की मुश्किलों की वजह से पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते थे. ऐसी परेशानियों को दूर करने में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से भी मदद मिल रही है. हमारा प्रयास है कि भाषा, किसी भी बच्चे की शिक्षा और प्रगति में बाधा नहीं बननी चाहिए.
'मन की बात' के 108वें अंक का महत्व पीएम मोदी ने इस एपिसोड की शुरुआत करते हुए 108वें अंक का महत्व भी बताया. उन्होंने कहा, हमारे यहां 108 अंक का महत्व, उसकी पवित्रता, एक गहन अध्ययन का विषय है. माला में 108 मनके, 108 बार जप, 108 दिव्य क्षेत्र, मंदिरों में 108 सीढ़ियां, 108 घंटियां, 108 का ये अंक असीम आस्था से जुड़ा हुआ है. इसलिए 'मन की बात' का 108वां एपिसोड मेरे लिए और खास हो गया है. इन 108 एपिसोड में हमने जनभागीदारी के कितने ही उदाहरण देखे हैं, उनसे प्रेरणा पाई है. अब इस पड़ाव पर पहुंचने के बाद, हमें नए सिरे से, नई ऊर्जा के साथ और तेजगति से, बढ़ने का, संकल्प लेना है और ये कितना सुखद संयोग है कि कल का सूर्योदय, (2024 का) प्रथम सूर्योदय होगा. हम वर्ष 2024 में प्रवेश कर चुके होंगे. आप सभी को 2024 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं.

Polar Loop price in India: भारतीय बाजार में Polar ने अपना स्क्रीनलेस फिटनेस ट्रैकर लॉन्च कर दिया है. ये डिवाइस Whoop Band जैसे फीचर्स के साथ आता है. जहां Whoop Band के लिए यूजर्स को हर साल सब्सक्रिप्शन खरीदना होता है. वहीं Polar Loop के साथ ऐसा कुछ नहीं है. इस बैंड को यूज करने के लिए किसी सब्सक्रिप्शन की जरूरत नहीं होगी.

इंडिगो एयरलाइन की उड़ानों पर मंडराता संकट शनिवार, 6 दिसंबर को भी खत्म नहीं हुआ और हालात लगातार पांचवें दिन बिगड़े रहे. देश के कई हिस्सों में बड़ी संख्या में फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ीं. बीते चार दिनों से जारी इस गड़बड़ी का सबसे बड़ा असर शुक्रवार को दिखा, जब 1,000 से ज्यादा उड़ानें रद्द हुईं, जबकि गुरुवार को करीब 550 फ्लाइट्स कैंसिल करनी पड़ी थीं.

भारत और यूरोप के वर्क कल्चर में फर्क को जर्मनी में काम कर रहे भारतीय इंजीनियर कौस्तव बनर्जी ने 'जमीन-आसमान का अंतर] बताया है. उनके मुताबिक, भारत में काम का मतलब अक्सर सिर्फ लगातार दबाव, लंबे घंटे और बिना रुके डिलीवरी से जुड़ा होता है, जबकि जर्मनी और यूरोप में काम के साथ-साथ इंसान की जिंदगी को भी बराबर अहमियत दी जाती है.

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन IndiGo का संचालन शनिवार को भी पटरी पर नहीं लौट सका. संकट अब पांचवें दिन में पहुंच गया है और दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु व चेन्नई एयरपोर्ट पर यात्री रातभर अपने उड़ानों का इंतजार करते नजर आए. पिछले चार दिनों में एयरलाइन को 2,000 से अधिक उड़ानें रद्द करनी पड़ी हैं, जिससे करीब तीन लाख से ज्यादा यात्रियों की यात्रा योजनाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.









