कब से लागू होगा महिला आरक्षण बिल, क्या राज्यों की भी मंजूरी लेनी होगी? पढ़ें- 10 बड़े सवालों के जवाब
AajTak
'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' के नाम से आए महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा में चर्चा हो रही है. लोकसभा से पास होने के बाद इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा. ऐसे में जानते हैं कि बिल अगर कानून बनता है तो ये कब से लागू होगा? एससी-एसटी महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था है?
संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण देने वाला बिल लोकसभा में पेश हो गया है. इस बिल को 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' नाम दिया गया है.
महिला आरक्षण बिल 27 साल से अटका पड़ा था. 1996 में एचडी देवेगौड़ा की सरकार में इस बिल को पहली बार लाया गया था. साल 2010 में ये बिल यूपीए सरकार में राज्यसभा से पास भी हो गया था, लेकिन लोकसभा में इसे पेश नहीं किया गया.
अब इस बिल को फिर संसद में लाया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिल को सर्वसम्मति से पास कराने का अनुरोध किया है. इस बिल पर बुधवार को लोकसभा में चर्चा होगी. यहां से बिल पास कराने में सरकार को कोई मुश्किल नहीं होगी. लोकसभा से पास होने के बाद बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा.
इस बिल में क्या-क्या प्रावधान हैं? बिल कब से लागू होगा? अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं के लिए क्या व्यवस्था है? बिल के कानून बनने से क्या बदलेगा? जानते हैं...
1. बिल क्या है?
ये बिल लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण देता है. बिल के कानून बनने से लोकसभा और विधानसभाओं की एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व हो जाएंगी.
केरल में ड्राइविंग के दौरान नियमों की धजी उड़ाने वाले शख्स पर कार्रवाई करते हुए मोटर व्हीकल विभाग ने तीन महीने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड कर दिया है. अलप्पुझा के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) आर. रामनन की जांच के बाद आरोपी पुजारी बैजू विंसेंट के खिलाफ कार्रवाई करते हुए तीन महीने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड कर किया गया है.
दिल्ली-कनाडा फ्लाइट को बीते सप्ताह उड़ाने की धमकी एक मेल के जरिए दी गई थी. इस मामले में पुलिस ने 13 साल के एक बच्चे को पकड़ा है. यह मेल बच्चे ने हंसी-मजाक में भेज दिया था. वह यह देखना चाहता था कि धमकी भरा मेल भेजने के बाद पुलिस उसे ट्रेस कर पाती है या नहीं. अब उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश किया जाएगा.
‘जिस घर में कील लगाते जी दुखता था, उसकी दीवारें कभी भी धसक जाती हैं. आंखों के सामने दरार में गाय-गोरू समा गए. बरसात आए तो जमीन के नीचे पानी गड़गड़ाता है. घर में हम बुड्ढा-बुड्ढी ही हैं. गिरे तो यही छत हमारी कबर (कब्र) बन जाएगी.’ जिन पहाड़ों पर चढ़ते हुए दुख की सांस भी फूल जाए, शांतिदेवी वहां टूटे हुए घर को मुकुट की तरह सजाए हैं. आवाज रुआंसी होते-होते संभलती हुई.