
कंबोडिया-थाईलैंड की जंग पर क्यों है भारत समेत पूरी दुनिया की नजर? क्या तनाव बढ़ने से चीन को होगा फायदा
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दक्षिण-पूर्व एशिया के दो छोटे मगर रणनीतिक रूप से बेहद अहम देशों- कंबोडिया और थाईलैंड के बीच एक बार फिर विवाद गहराता जा रहा है. इस संघर्ष पर अब भारत-चीन समेत पूरी दुनिया की नजर है. अब सवाल उठा रहा है कि क्या ये संघर्ष किसी बड़े क्षेत्रीय संकट में बदल जाएगा और क्या क्षेत्र में तनाव बढ़ने से इसका सीधा फायदा चीन को हो सकता है?.
दक्षिण-पूर्व एशिया के दो छोटे मगर रणनीतिक रूप से बेहद अहम देशों- कंबोडिया और थाईलैंड के बीच एक बार फिर विवाद गहरा गया है. हजार साल पुराने प्रीह विहेयर मंदिर को लेकर उपजा ये विवाद अब सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं रहा. इस संघर्ष पर अब भारत समेत पूरी दुनिया की नजर है. साथ ही सवाल उठ रहा है कि क्या ये संघर्ष किसी बड़े क्षेत्रीय संकट में बदल जाएगा और क्या क्षेत्र में तनाव बढ़ने से इसका सीधा फायदा चीन को हो सकता है?.
कंबोडिया और थाईलैंड दोनों ही ASEAN (दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन) के सदस्य हैं. ASEAN की सबसे बड़ी ताकत उसकी क्षेत्रीय शांति और आपसी समझ है, अगर दो सदस्य देशों में टकराव बढ़ता है तो पूरे ब्लॉक की विश्वसनीयता और एकता पर सवाल उठेंगे. और यहीं से दोनों जगहों पर बाहरी ताकतें एक्टिव हो सकती हैं. जो कि भारत के दृष्टिकोण से सही नहीं है.
भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी पर भी पड़ेगा असर
थाईलैंड भारत का act east corridor का एक अहम गेटवे है. भारत ने मेकोंग Ganga सहयोग, डिजिटल कनेक्टिविटी और सांस्कृतिक प्रोजेक्ट्स में कंबोडिया और थाईलैंड दोनों पर फोकस किया है. लेकिन दोनों के बीच तनाव बढ़ने से डिप्लोमैटिक बैलेंस बिगड़ सकता है. और भारत के लिए रणनीतिक स्पेस सीमित हो सकता है.
चीन को हो सकता है फायदा
इस तनाव का सीधा फायदा चीन उठा सकता है, क्योंकि कंबोडिया पहले से ही चीन के करीब है. चीन ने कंबोडिया में Ream Naval Base विकसित किया है जो अमेरिका और भारत दोनों के लिए चिंता का विषय है. कंबोडिया के सत्तारूढ़ नेता हुन सेन और अब हुन मानेट चीन के सबसे भरोसेमंद एशियाई साझेदार माने जाते हैं.

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