
एशिया रो रहा है...टूरिस्ट के स्वर्ग कहे जाने वाले इन देशों पर बाढ़ का साया, हजारों की मौत
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एशिया के प्रमुख पर्यटन स्थलों जैसे इंडोनेशिया, श्रीलंका, थाईलैंड, वियतनाम और फिलीपींस में भारी बाढ़ ने हजारों लोगों की जान ले ली है और कई घायल हुए हैं. इस प्राकृतिक आपदा ने टूरिज्म उद्योग को बुरी तरह प्रभावित किया है, जिससे आर्थिक नुकसान भी हुआ है. कई देशों ने राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया है और रेड अलर्ट जारी किया गया है.
दुनिया भर के लोग थाईलैंड, वियतनाम और श्रीलंका जैसे एशियाई देशों में छुट्टियां मनाने जाते हैं. वजह यहां की प्राकृतिक सुंदरता, रंग-बिरंगी संस्कृति और सस्ता घूमना-फिरना सबको पसंद आता है. लेकिन इस साल नवंबर से मार्च तक चलने वाला टूरिज्म सीजन बुरी तरह प्रभावित हो चुका है. सिर्फ नवंबर में ही पूर्वी एशिया के देशों में 40 से ज्यादा प्राकृतिक आपदाएं आईं, जिनमें 1,300 से ज्यादा लोग मारे गए और हजारों घायल या बेघर हो गए.
इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, वियतनाम, श्रीलंका के बाद अब भारत भी...पूर्वी और दक्षिण-पूर्व एशिया के ये देश या तो प्रकृति के गुस्से का शिकार हुए हैं या फिर इसके लिए तैयार हो रहे हैं. इंडोनेशिया में करीब 600 लोग मर चुके हैं, जबकि श्रीलंका में 350 से ज्यादा की मौत हो गई है.
टूरिज्म का सारा मजा किरकिरा
मौतों के अलावा आने वाले समय में भारी आर्थिक नुकसान भी होने वाला है. इनमें से ज्यादातर देशों की अर्थव्यवस्था टूरिज्म पर बहुत निर्भर है. थाईलैंड और वियतनाम जैसे देशों में ट्रैवल और टूरिज्म से GDP का करीब 15 प्रतिशत हिस्सा आता है. बाढ़ ने इन देशों की सड़कें, पुल और इमारतें तबाह कर दीं, जिससे टूरिस्ट डर गए हैं. सबसे बुरी बात ये कि नवंबर में ये सब हुआ, जब विदेशी सैलानी आने शुरू होते हैं.
रेड अलर्ट और विरोध प्रदर्शन भारत के तटीय इलाकों में रेड अलर्ट जारी हैं. श्रीलंका ने राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया है और साइक्लोन 'डिटवाह' को देश की अब तक की सबसे बड़ी आपदा बता दिया है. थाईलैंड के कुछ हिस्सों में बाढ़ का पानी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है.
वहीं फिलीपींस में, जहां हाल की बाढ़ से 200 से ज्यादा लोग मारे गए, हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं. वो सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि बाढ़ कंट्रोल स्कीम्स में घोटाला हुआ है.

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